कोरोना काल में बढ़ा आर्थिक संकट, पुश्तैनी जेवर बेच रहे लोग
कोरोना काल में बढ़ा आर्थिक संकट पुश्तैनी जेवर बेच रहे लोग
जेएनएन, फीरोजाबाद : करीब ढाई महीने चले लॉक डाउन ने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है। जीवन की गाड़ी खींचने और घर का खर्च चलाने के लिए लोगों को अपने पुश्तैनी जेवर बेचने और गिरवी रखने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। दुकानें खुलने के बाद सराफा कारोबरियों के पास नए आभूषणों के लिए ग्राहक नहीं आ रहे हैं।
काम धंधे छोड़कर लोग ढाई महीने से घरों में कैद हैं, लेकिन इस दौरान घर का खर्चा बदस्तूर जारी रहा। जिसे पूरा करने के लिए किसी ने पड़ोसी से उधार लिया तो किसी ने रिश्तेदारों से। अब ये सहारे भी कम पड़ने लगे हैं। चाट, पकौड़ी के ठेले, खाने, पीने का सामान बेचने वालों को नुकसान भी काफी हुआ। अभी भी स्थितियां बदली नहीं हैं। हालातों से जूझने के लिए लोगों को अब जेवर गिरवीं रखने पड़ रहे हैं। स्वर्णकारों के मना करने पर वे बेचने को भी तैयार हैं, फिर भी खरीददार नहीं मिल रहे।
टूंडला के स्वर्णकार राजू लवानियां ने बताया कि इन दिनों आभूषण बेचने व गिरवी रखने वालों की संख्या बढ़ी है। गांव चिलासनी निवासी एक युवक जरूरत के चलते अपनी पुश्तैनी मटर माला बेच कर गया है। ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें मजबूरी में आभूषण बेचने पड़ रहे हैं। राहुल पाठक बताते हैं कि हम सिर्फ अपने बनाए हुए गहने की खरीद रहे हैं। बेचने वालों की संख्या बढ़ी है। इसके पीछे एक कारण सोने के दामों में भारी उछाल भी है। वहीं स्वर्णकार अंशुल गुप्ता ने बताया कि किसी को रोजगार शुरू करने के लिए पैसों की जरूरत है तो किसी को इलाज के लिए पैसे चाहिए। आभूषण बेचने वालों की संख्या में 10 से 15 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है।
यही स्थिति खैरगढ़ में हैं। यहां पर भी जरुरतमंद स्वर्णकारों के पास जाकर जेवर गिरवी रख रहे हैं तो कोई बेचने की पेशकश कर रहा है। स्वर्णकार संजय वर्मा ने बताया कि हालांकि ऐसे लोगों की संख्या कम है।