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जागरण विशेष--डॉक्टर्स की छुट्टियों में फंस गए गर्भवतियों के ऑपरेशन

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : जिला महिला अस्पताल साधारण प्रसव केंद्र बनकर रह गया है। गर्भवती

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Aug 2017 05:59 PM (IST)Updated: Fri, 18 Aug 2017 05:59 PM (IST)
जागरण विशेष--डॉक्टर्स की छुट्टियों में फंस गए गर्भवतियों के ऑपरेशन
जागरण विशेष--डॉक्टर्स की छुट्टियों में फंस गए गर्भवतियों के ऑपरेशन

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : जिला महिला अस्पताल साधारण प्रसव केंद्र बनकर रह गया है। गर्भवती महिलाओं की हालत थोड़ी सी भी ¨चताजनक हो तो स्टाफ हाथ खड़े कर देता है। डॉक्टर्स भी ऐसे केस को हाथ में लेने से कतराते हैं, क्योंकि कहीं भी बात बिगड़ी तो संभालेगा कौन? पिछले एक महीने से अस्पताल में एक भी चिकित्सक ऐसी नहीं है जो सामान्य स्थिति में भी ऑपरेशन कर सके। एकमात्र चिकित्सक डॉ.नीता गुप्ता अब तक ऑपरेशन कर रहीं थीं लेकिन 18 जुलाई को उनकी तबियत खराब होने के बाद वह छुट्टी पर हैं तो उस दिन से अस्पताल में एक भी ऑपरेशन नहीं हुआ। एक महिला चिकित्सक तो दो माह पूर्व ऑपरेशन का नाम सुनते ही लंबी छुट्टी पर चली गई हैं।

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ऐसे में गर्भवती महिलाएं परेशान हैं। फीरोजाबाद शहर के साथ देहात से भी बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं उम्मीद के साथ अस्पताल में आती हैं, लेकिन यहां पर सिर्फ उन गर्भवती महिलाओं को उपचार मिलता है जिनकी डिलीवरी नॉर्मल हो सकती है। ऑपरेशन करने वाली कोई चिकित्सक न होने के कारण कई बार ऐसी गर्भवती महिलाओं को भी अस्पताल से लौटा दिया जाता है, जिनकी नॉर्मल डिलीवरी में हल्का सा भी रिस्क हो। कइयों को आगरा रैफर किया जाता है तो जिन गर्भवती महिलाओं की हालत ज्यादा खराब होती है, परिजन उन्हें मजबूरी में प्राइवेट नर्सिंग होम में ले जाते हैं। महिला अस्पताल के इन हालातों की खबर से जिला स्तर से लेकर शासन तक के अफसर परिचित हैं, लेकिन सुधार के लिए अब तक कोई प्रयास नहीं हुआ।

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24 से 30 घंटे की ड्यूटी भी है प्रमुख वजह :

महिला अस्पताल में चिकित्सकों की ड्यूटी 24 से 30 घंटे की लगाई जाती है। एक महिला चिकित्सक सुबह आठ बजे से दूसरे दिन सुबह आठ बजे तक इमरजेंसी में डयूटी करती हैं। इसके बाद ओपीडी करती हैं तथा फिर घर जाती हैं। दूसरे दिन उन्हें छुट्टी मिल जाती है। इसकी प्रमुख वजह चिकित्सकों की कमी होना है। सूत्रों की माने अवकाश पर गई डॉ.गुप्ता भी इसके चलते नहीं लौट पा रही हैं। बीमारी के चलते दवाइयों का सेवन करना पड़ता है। ऐसे में लगातार 24 घंटे की ड्यूटी देना संभव नहीं है। वैसे भी मरीजों के बेहतर इलाज के लिए अस्पताल प्रशासन अगर आठ-आठ घंटे की चिकित्सकों की ड्यूटी लगाए तो मरीजों का उपचार ज्यादा बेहतर ढंग से हो सकता है।

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सरकारी खर्च पर बनीं विशेषज्ञ, ऑपरेशन की सुनकर गई छुट्टी :

महिला अस्पताल में ऑपरेशन के लिए विशेषज्ञ की जरूरत को देखते हुए सीएमओ दफ्तर से जून में विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. माया देवी गौतम को संबद्ध किया गया था। डिप्टी सीएमओ के पद पर सीएमओ दफ्तर में कार्यरत डॉ.माया ने महिला अस्पताल में चार्ज संभाला। मौखिक रूप से अस्पताल प्रशासन ने ऑपरेशन के लिए कहा तो उन्होंने इन्कार कर दिया तथा दो दिन बाद ही छुट्टी चली गई। बताया जाता है अस्पताल प्रशासन ने उन्हें लिखित में ऑपरेशन की जिम्मेदारी उठाने के लिए कहा था। जबकि उक्त चिकित्सक ने सरकारी सेवा में रहते हुए सरकारी खर्च पर इस डिग्री को हासिल किया है। ऐसे में इस डिग्री का लाभ मरीजों को मिलना चाहिए, जो नहीं मिल रहा है। यह सरकारी धन की भी फिजूल खर्ची है।

'अस्पताल में सिर्फ डॉ. नीता गुप्ता ही ऑपरेशन करती हैं, जो बीमारी के चलते अवकाश पर हैं। डॉ. मायादेवी ज्वाइन करने के दो दिन बाद ही छुट्टी पर चली गई। हम उनकी गैरहाजिरी लगाकर उच्चाधिकारियों को भेज रहे हैं। चिकित्सकों की कमी से शासन को अवगत करा दिया गया है।'

-डॉ.साधना राठौर

मुख्य चिकित्साधीक्षिका

महिला अस्पताल


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