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बालिकाओं के स्कूल में नशे में घूमते मिले जिला समन्वयक

फीरोजाबाद, जागरण संवाददाता। राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम ने सोमवार को कई स्कूलों का निरीक्षण किया। इस दौरान बालिका स्कूल में जिला समन्वयक नशे में मिले। नाराजगी पर वे यहां से चले गए। इस पर टीम ने नाराजगी जताई है। निरीक्षण में आश्रम पद्धति स्कूल में बच्चों को स्वेटर ही नहीं वितरित हुए। इस पर नाराजगी जताई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 08 Jan 2019 12:46 AM (IST)Updated: Tue, 08 Jan 2019 12:46 AM (IST)
बालिकाओं के स्कूल में नशे में घूमते मिले जिला समन्वयक
बालिकाओं के स्कूल में नशे में घूमते मिले जिला समन्वयक

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: कस्तूरबा गांधी जैसे बालिकाओं के आवासीय विद्यालय में समेकित शिक्षा के जिला कॉर्डिनेटर (डीसी) नशे में घूमते मिले। निरीक्षण करने पहुंचे बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों ने उन्हें टोका तो वह भाग खड़े हुए। सदस्यों को एटीएस में भी काफी बदइंतजामी मिली।

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आयोग के सदस्य डॉ. साक्षी बैजल और डॉ. शुचिता चतुर्वेदी सोमवार की दोपहर को सबसे पहले जिला मुख्यालय के निकट गांव बजीरपुर जेहलपुर में आश्रम पद्धति विद्यालय (एटीएस) पहुंचे। यहां काफी गंदगी थी और बच्चे हाफ स्वेटर में घूम रहे थे। पूछने पर बच्चों ने उन्हें बताया कि उन्हें पूरी आस्तीन के स्वेटर मिले ही नहीं हैं। तीन चार महीने से साबुन, शैंपू उपलब्ध नहीं है। रोजमर्रा की चीजें मौजूद नहीं मिली। कमरों में खिड़कियों पर शीशे नहीं थे। बच्चों को ओढ़ने के लिए एक पतला सा कंबल दिया गया है।

निरीक्षण के बाद पत्रकार वार्ता में सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि एटीएस में स्थित दयनीय मिली, जबकि सरकार से पूरी सुविधा मिल रही है। गददों पर कवर तक नहीं थे। उन्होंने बताया कि वह जब कस्तूरबा गांधी स्कूल पहुंचीं तो समेकित शिक्षा के डीसी अजय कुमार पांडेय वहां नशे में घूमते मिले। जब उन्हें मेडिकल कराने की चेतावनी दी तो वह भाग गए। उनके इस तरह मिलने से स्कूल में रह रही बालिकाओं की सुरक्षा पर प्रश्न चिह्न लगता है। इस संबंध में मुख्यमंत्री और जिला प्रशासन को बताया जाएगा। इस संबंध में डीसी से संपर्क करने की कोशिश की गई, मगर मोबाइल बंद था।

बाल श्रमिक स्कूल की पोल पकड़ी

सदस्यों ने नगला मिर्जा बड़ा में संचालित बाल श्रमिक विद्यालय का निरीक्षण किया। जितने बच्चों के नाम उपस्थित रजिस्टर में दर्ज थे, उतने मौजूद मिले, लेकिन जब हाजिरी ली तो एक दो बच्चों ने ही हाथ उठाए। इससे सदस्याओं ने अंदाजा लगाया कि स्कूल में फर्जी बच्चों के नाम दर्ज हैं।


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