फसल बीमा को सरल करे सरकार, अभी है सिस्टम बेकार
आम बजट में किसानों के हित में बिजली और डीजल पर सब्सिडी की चाहत बोले किसान सम्मान निधि से ज्यादा जरूरी है बीमा की नीति में परिवर्तन
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: चूड़ियों के लिए मशहूर सुहागनगरी की एक पहचान खेती भी है। फीरोजाबाद में पैदा होने वाली शिमला मिर्च देश की बड़ी मंडियों तक जाती है। इसके अलावा यहां का आलू भी देश भर के घरों तक पहुंचता है। सम्मान निधि के जरिए किसानों तक सीधी पहुंच बनाने वाली सरकार से अबकी बजट में बड़ी उम्मीदें हैं। प्राकृतिक आपदा की मार झेलने वाले किसान फसल बीमा को लेकर परेशान हैं और सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि फसल बीमा के लिए सरकार कोई सरल नीति लेकर आए।
फीरोजाबाद में पीएम फसल बीमा योजना के अलावा मौसम आधारीय फसल पुनर्गठन योजना भी लागू होती है। इसमें शिमला मिर्च और अचारी मिर्च आती है। किसानों का कहना है कि फसल बीमा योजना व्यवहारिक नहीं है। सरकार की ओर से बीमा कंपनियों को ठेका दिया जाता है, लेकिन न तो यहां कोई कंपनी का दफ्तर होता है और न अधिकारी। बैंकों से लोन लेने वाले किसानों से प्रीमियम तो कट जाता है, लेकिन बाकी के किसान बीमा में शामिल ही नहीं हो पाते। इसके अलावा दूसरी सबसे बड़ी समस्या बीमा योजना की पॉलिसी है। नुकसान के आंकलन का मानक 33 फीसद है, यानि 33 फीसद फसल खराब होने पर ही बीमा की राशि मिल पाती है। दूसरी सबसे बड़ी समस्या यह है कि फसल बीमा का लाभ ब्लॉक स्तर पर हुए नुकसान के आधार पर दिया जाता है। यदि पूरे ब्लॉक में नुकसान हुआ है तभी बीमा कंपनियां हर्जाना देंगी। जबकि मौसम का हाल यह है कि कभी एक गांव में ओले गिरते हैं तो दूसरे गांव में पानी तक नहीं बरसता। किसानों का कहना है कि सरकार इसमें परिवर्तन करे।
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एक नजर
जिले में किसानों की संख्या - 2.25 लाख
जिले में रबी की फसल का आच्छादन 1.20 लाख हैक्टेयर
जिले में खरीफ की फसल का आच्छादन -1.10 लाख हैक्टेयर
रबी के सीजन में फसल बीमा--8890 (आखिरी अपडेट 20 जनवरी को होगा)
प्रमुख फसलें--गेहूं, आलू, शिमला मिर्च, बाजरा
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'फसल बीमा योजना का जब तक सरलीकरण नहीं होगा, किसानों को फायदा नहीं होगा। हर साल मौसम की मार ऐसी होती है कि किसान की लागत भी डूब जाती है। इसके लिए ग्राम पंचायत स्तर पर मुआवजे की सीमा तय हो और नुकसान के आंकलन का दायरा 33 फीसद से दस फीसद किया जाए। सरकार बजट में किसानों के ट्यूबवेल को बिजली पर सब्सिडी और डीजल पर सब्सिडी दे, तभी किसानों का भला हो सकेगा। सरकार को जमीनी धरातल पर सोचना होगा।'
राजेश प्रताप बूली, शिमला मिर्च किसान