श्रद्धालुओं ने उत्साह से मनाया श्रुत पंचमी महापर्व
श्रद्धालुओं ने उत्साह से मनाया श्रुत पंचमी महापर्व
संवाद सहयोगी, फीरोजाबाद: बुधवार को दुर्लभ जैन ग्रंथ एवं शास्त्रों की रक्षा का महापर्व घर-घर उत्साह के साथ मनाया गया। श्रद्धालुओं ने प्राचीनतम ग्रंथों को भगवान महावीर की वेदी के समीप विराजमान करके विधि विधान से पूजा अर्चना की। इसके बाद सुरक्षा की ²ष्टि से उन्हें नए वस्त्रों में पलेटकर सुरक्षित स्थान पर रखा गया।
हर साल श्रुत पंचमी के दिन श्रद्धालुओं द्वारा प्राचीनतम ग्रंथों को रथ पर रखकर गाजेबाजे के साथ शोभायात्रा निकाली जाती थी। मंदिरों में सुबह से ही धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता था, लेकिन इस बार लॉक डाउन के कारण 63 दिनों से मंदिरों के पट बंद हैं। इसलिए बुधवार को श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरों पर ही श्रुत पंचमी महापर्व मनाया। महिलाओं, पुरुषों ने घर में रहे प्राचीनतम ग्रंथों की पूजा अर्चना कर नए वस्त्रों में लपेटकर सुरक्षित स्थान पर रखे।
दिगंबर युवा संघर्ष समिति के निर्देशक संजय कुमार जैन पीआरओ ने बताया कि ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी को श्रुत पंचमी (ज्ञान पंचमी) महापर्व मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान महावीर के दर्शन को पहली बार लिखित ग्रंथ के रूप में प्रस्तुत किया गया था। पहले भगवान महावीर केवल उपदेश देते थे और उनके प्रमुख शिष्य (गणधर) सभी को समझाते थे। क्योंकि तब भगवान महावीर की वाणी को लिखने की परंपरा नहीं थी। उसे सुनकर ही स्मरण किया जाता था, इसलिए उसका नाम श्रुत था।
अजय जैन बजाज ने बताया भगवान महावीर ने जो ज्ञान दिया, उसे श्रुत परंपरा के तहत अनेक आचार्यों ने जीवित रखा। गुजरात के गिरनार पर्वत की चंद्र गुफा में धरसेनाचार्य ने पुष्पदंत एवं भूतबलि मुनियों को सैद्धांतिक देशना दी। जिससे सुनने के बाद मुनियों ने एक ग्रंथ ज्येष्ठ शुल्क की पंचमी को प्रस्तुत किया था।