क्षमा का भाव रखना ही सबसे उत्तम धर्म
फीरोजाबाद जेएनएन। मंगलवार से दशलक्षण महापर्व के शुभारंभ के साथ जिनालयों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिरों में सुबह छह बजे भगवान जिनेंद्र का पूजन अभिषेक के बाद विधान हुए। उसके बाद स्थानीय एवं बाहर से आए जैन विद्वानों ने तत्वार्थ सूत्र का वाचन किया। शाम को आरती के साथ उत्तम क्षमा धर्म पर प्रवचन हुए।
फीरोजाबाद, जेएनएन। मंगलवार से दशलक्षण महापर्व के शुभारंभ के साथ जिनालयों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिरों में सुबह छह बजे भगवान जिनेंद्र का पूजन, अभिषेक के बाद विधान हुए। उसके बाद स्थानीय एवं बाहर से आए जैन विद्वानों ने तत्वार्थ सूत्र का वाचन किया। शाम को आरती के साथ उत्तम क्षमा धर्म पर प्रवचन हुए।
पर्यूषण पर्व के पहले दिन सुबह छह बजे से जैन मंदिरों में पूजन और अभिषेक शुरू हुआ। नगर के विभव नगर जैन मंदिर पर जैन विद्वान पांडे राजेश ने उत्तम क्षमा धर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि क्षमा आत्मा का स्वभाव है। जबकि क्रोध आत्मा का विभाव है। सत्य तो यह है कि क्षमा का अभाव ही क्रोध है। गाली सुनकर क्रोध का न आना ही क्षमा है। आपके अवगुण की कोई चर्चा करे तो भी क्रोध न करके क्षमा भाव रखना ही उत्तम क्षमा धर्म है। यह सभी धर्मों में सर्वोपरि है। क्रोध यश का नाश कर देता है। इसके साथ ही श्री छदामीलाल जैन मंदिर, नशिया जी जैन मंदिर, श्रीचंद्रप्रभ जैन मंदिर, अट्टावाला जैन मंदिर सहित अन्य जिनालयों में भी पर्यूषण पर्व की धूम रही। संजय जैन पीआरओ ने बताया कि बुधवार को उत्तम मार्दव पर प्रवचन होंगे।
टूंडला के सभी आठ जिनालयों में पूजा अर्चना के साथ ही अभिषेक कराया गया। इस दौरान पांडेय जयंत जैन ने कहा कि जीवन में उत्तम क्षमा को धारण करने वाला व्यक्ति ही उन्नति के मार्ग पर आगे जाता है। क्षमा व्यक्ति का सबसे बड़ा गुण है। जैन धर्म का मूल मंत्र ही जियो और जीने दो है। संसार में दूसरों को कष्ट देने वाला व्यक्ति सुखी नहीं रह सकता। अहिसा से ही दुनियां को जीता जा सकता है। हिसा करने वाला व्यक्ति सदैव दुख और दरिद्र को प्राप्त करता है। बच्चों ने नाटक के जरिए अहिसा का संदेश दिया। बाल प्रतियोगिता कराई गई। जिसमें विजेता बच्चों को पुरस्कृत किया गया। इस दौरान अध्यक्ष जसवीर प्रसाद जैन, सुनील जैन, मुकेशचंद्र जैन, सुरेंद्र कुमार जैन, राजेश जैन, यतेंद्र जैन, संदीप जैन, पंकज जैन, सुमन कुमार जैन, अजीत जैन, अनिल जैन, महेशचंद्र जैन, प्रदीप कुमार जैन, सोनल जैन, सुभाष चंद्र जैन आदि मौजूद रहे।