गोपाष्टमी पर जगह-जगह हुआ गाय का पूजन, खिलाए व्यंजन
शुक्रवार को गोपाष्टमी धूमधाम से मनाई गई। जगह-जगह गाय का पूजन कर व्यंजन खिलाए। गाय की महत्ता पर भी प्रकाश डाला। वहीं दूध से होने वाले फायदे भी बताए।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: शुक्रवार को गोपाष्टमी धूमधाम से मनाई गई। गोशालाओं में सुबह से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया। उन्होंने गोमाता का पूजन कर हरा चारा और तरह तरह के व्यंजन खिलाए। गाय के धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व पर चर्चा हुई।
कंपनी बाग चौराहा स्थित गोशाला में सुबह छह बजे से ही गोमाता का पूजन शुरू हो गया। महिला व पुरुषों ने अपने हाथ से गाय को हरी घास, पालक, पूड़ी एवं अन्य वस्तुएं खिलाईं। सुबह 10 बजे हवन हुआ। इसमें गोशाला समिति के पदाधिकारी एवं अन्य श्रद्धालु शामिल हुए। इसके बाद आयोजित गोष्ठी में डॉ. रामसनेही लाल शर्मा यायावर ने कहा कि गाय को सनातन धर्म में माता का दर्जा दिया गया है। इसे सनातन धर्म की रीढ़ भी माना जाता है। दैवीय शक्ति होने के कारण गाय में देवी देवताओं का वास होता है। गोमूत्र से तीस प्रकार की औषधि बनाई जातीं हैं।
गोसेवा प्रमुख रमाकांत उपाध्याय ने कहा कि गाय माता के दूध और मूत्र में कैंसर और लीवर की बीमारियां दूर करने की शक्ति है। इसलिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारी गायों की नस्ल सुधार के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं। राजनरायन गुप्ता ने कहा कि गायों को छोड़े नहीं, बल्कि उनका पालन करें। देर शाम में गोमाता की सामूहिक आरती कर दीपमाला सजाई गई। इस दौरान द्विजेंद्र मोहन शर्मा, पं. वीनेश शर्मा, विष्णु बंसल, शिवनरायन शास्त्री, हनुमान प्रसाद गर्ग, राकेश तिवारी, राकेश शर्मा, झब्बूलाल अग्रवाल, हरीशंकर तिवारी, रामबाबू बघेल आदि लोग मौजूद रहे।