कोरोना ने दूसरी बीमारियों का इलाज किया मुश्किल
कोरोना काल में स्वास्थ्य क्षेत्र पूरी तरह अनलाक है। फिर भी मर
फीरोजाबाद, जागरण संवाददाता: कोरोना काल में स्वास्थ्य क्षेत्र पूरी तरह अनलाक है। फिर भी मरीजों के लिए इलाज कराना मुश्किल हो गया है। प्राइवेट चिकित्सकों ने जहां ओपीडी का शुल्क बढ़ा दिया है। वहीं भर्ती होने और आपरेशन की फीस में भी 50 फीसद तक की बढ़ोतरी की गई है।
25 मार्च को जब पहली बार बंदी की घोषणा हुई तब भी प्राइवेट हास्पिटल, क्लीनिक और नर्सिंग होम बंद नहीं कराए गए थे। ये अलग बात है कि कोरोना के मरीज और शासन की सख्ती बढ़ने पर ज्यादातर चिकित्सकों ने आपरेशन और मरीजों को भर्ती करने से परहेज शुरू कर दिया, लेकिन अब स्थितियां काफी हद तक सामान्य हो गई हैं।
सरकारी के साथ ही प्राइवेट अस्पतालों में भी मरीजों के परीक्षण से लेकर आपरेशन तक का काम शुरू हो गया है। लेकिन मरीजों के लिए इलाज कराना अब भी मुश्किल भरा है। कोरोना से बचाव के लिए पीपीई किट, ग्लब्स और सैनिटाइजर के खर्चे के नाम पर शहर के कई चिकित्सकों ने अपनी ओपीडी का शुल्क बढ़ा रखा है। सामाजिक संगठनों और ट्रस्ट से चलने वाले अस्पतालों को भी यही हाल है। रोटरी क्लब द्वारा संचालित आंखों के अस्पताल में परामर्श शुल्क 20 से बढ़कर 50 रुपये हो गया है। प्राइवेट ट्रामा सेंटर में भी अधिकांश चिकित्सकों की फीस दोगुनी हो गई है।
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-ये है स्थिति: शहर में जहां अल्ट्रासाउंड पहले 600 रुपये में होता था, वहां अब 800 और 900 रुपये में हो रहा है। पथरी के सामान्य आपरेशन का औसत खर्च पहले 12 से 14 हजार रुपये था जो अब 20 हजार रुपये तक पहुंच गया है। यही हाल आपरेशन से होने वाले प्रसव का है। जो आपरेशन पहले 15 से 20 हजार में होते थे उसके अब 25 से 30 हजार रुपये लिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं खून की जांच और एक्स-रे की रेट भी 50 फीसद तक बढ़ा दी गई है।
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-कोरोना से बचाव के इंतजामों के चलते खर्चा बढ़ने से पहले फीस बढ़ाई गई थी, लेकिन अब सभी तरह के शुल्क फिर से लगभग पुरानी स्थिति में पहुंच गए हैं। फिर भी यदि कहीं समस्या है तो हम आइएमए के सदस्यों से बात करेंगे।
-डा. मनोज झिदल, अध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसिएशन फीरोजाबाद