पीसीएस के परिणाम में सुहाग नगरी की बेटियों का रहा दबदबा
फीरोजाबाद जागरण संवाददाता। प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षा में सुहाग नगर की बेटियों ने अपना दमखम दिखाया। पीसीएस 2016 की परीक्षा में तीन बेटियों का चयन हुआ है। रिटायर्ड बैंक कर्मचारी की बेटी प्रियंका ¨सह ने सफलता को दोहराते हुए 49वीं रैंक पाई और उनका चयन एसडीएम पद पर हुआ। वहीं बेसिक स्कूल की शिक्षिका श्रुति शर्मा दूसरे प्रयास में खंड विकास अधिकारी बनी तो नई बस्ती में रहने वाली ठेकेदार की बेटी नीतू गोला सब रजिस्ट्रार के लिए चुनी गई। बेटियों की सफलता पर पूरा परिवार नाज कर रहा है। जागरण ने सफल बेटियों से बातचीत की।
जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षा में सुहाग नगर की बेटियों ने अपना दमखम दिखाया। पीसीएस 2016 की परीक्षा में तीन बेटियों का चयन हुआ है। रिटायर्ड बैंक कर्मचारी की बेटी प्रियंका ¨सह ने सफलता को दोहराते हुए 49वीं रैंक पाई और उनका चयन एसडीएम पद पर हुआ। वहीं बेसिक स्कूल की शिक्षिका श्रुति शर्मा दूसरे प्रयास में खंड विकास अधिकारी बनी तो नई बस्ती में रहने वाली ठेकेदार की बेटी नीतू गोला सब रजिस्ट्रार के लिए चुनी गई। बेटियों की सफलता पर पूरा परिवार नाज कर रहा है। जागरण ने सफल बेटियों से बातचीत की।
पूरा हुआ संकल्प, अब करूंगी नौकरी: श्रुति शर्मा
2011 में बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षिका की नौकरी हासिल करने वाली आर्य नगर निवासी श्रुति शर्मा का लक्ष्य ऊंचा था। पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाते हुए छोटी बहन की शादी की और अपने लक्ष्य में जुटी रहीं। दूसरे प्रयास में खंड विकास अधिकारी के पद पर चयनित श्रुति शर्मा बताती हैं कि जब मैं दस माह की थी, तब पिता चल बसे थे। पढ़ाई के बाद मैंने अपनी जिम्मेदारियों को संभाला। लक्ष्य अधिकारी बनना था, इसलिए मैंने शादी नहीं की और तैयारी में जुटी रही। श्रुति कहती हैं कि अगर लक्ष्य के लिए मेहनत की जाए तो सफलता निश्चित होती है। मैंने अधिकारी बनने की सोची थी और लक्ष्य पा लिया। अब पूरी लगन और मेहनत के साथ नौकरी करूंगी और परिवार बसाऊंगी। सफलता का श्रेय अपने परिवार को मेहनत को देती हूं।
अभी उड़ान बाकी है, जारी रहेगी तैयारी: नीतू गोला
नई बस्ती निवासी निगम ठेकेदार प्रताप ¨सह की बेटी नीतू गोला प्रथम प्रयास में सब रजिस्ट्रार के पद पर चयनित हुई हैं। दो वर्ष से मेरठ में फूड इंस्पेक्टर की नौकरी कर रहीं नीतू ने इतिहास विषय के लिए दिल्ली में को¨चग की और बाकी सेल्फ स्टडी करती रहीं। नीतू बताती हैं कि लक्ष्य तय करें और निराशा को मन में न आनें दे तो सफलता तय है। मैं अपने परिवार में पहली अधिकारी बनी हूं, पूरा परिवार खुश है। सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती हूं, उन्होंने हमेशा मुझे सपोर्ट किया। बेटी बड़ी होने के बाद शादी का दबाव बनाया जाने लगता है, मगर मेरे लिए कोई दबाव नहीं था। सब कहते थे कि जो करना हो करो। आगे पढ़ाई जारी रखूंगी, क्योंकि लक्ष्य बड़ा तय कर रखा है।