सुनो सरकार, कांच को मदद की है दरकार
रॉ मेटेरियल की बढ़ती कीमतें कांच उद्योग की बढ़ा रही मुश्किल नेचुरल गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की उद्यमी उठा रहे मांग
फीरोजाबाद, जासं, सुहागनगरी में बनने वाले कांच उत्पाद देश-विदेश में अपनी धाक जमाए हुए हैं। सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व देने वाले कांच उद्योग को सरकार से मदद की दरकार है। उद्यमियों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार द्वारा बजट में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नए प्रावधान किए जाएंगे। कांच उत्पादन में प्रयोग होने वाली नेचुरल गैस से लेकर रॉ मेटेरियल की कीमतें घटाने पर विचार किया जाएगा।
सुहागनगरी में पांच दर्जन से अधिक इकाइयों में कांच उत्पादन होता है। इन इकाइयों में ग्लास वेयर, टेबल वेयर व किचन वेयर के साथ कांच की बोतल तैयार होती हैं। इसके अलावा विदेशों में एक्सपोर्ट करने के लिए सजावटी आइटम तैयार कराए जाते हैं। लाखों श्रमिकों को रोजगार देने वाला कांच उद्योग तमाम दुश्वारियां झेल रहा है। उद्यमियों का कहना है कि हाईकोर्ट के निर्देश पर वर्ष 1996 में कांच उद्योग के लिए नेचुरल गैस उपलब्ध कराई गई थी। उस समय गैस की रेट पांच रुपये थी। वर्तमान में नेचुरल गैस की रेट 20 रुपये से अधिक पहुंच गई हैं। कांच उत्पादन में प्रयोग होने वाला रॉ मेटेरियल व केमिकल भी महंगे हो गए हैं। जीएसटी लागू होने के बाद कांच आइटमों पर 18 फीसद तक टैक्स लग रहा है। उद्यमियों की मांग है कि कांच आइटमों पर जीएसटी की रेट घटाकर 12 फीसद किया जाए। जीएसटी में रिफंड देरी से मिलने के कारण निर्यातकों को धनाभाव से जूझना पड़ रहा है। केंद्र सरकार के आम बजट से उद्यमियों को सस्ती दर पर गैस व अन्य सुविधा मिलने की दरकार है।
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कांच उद्योग पर एक नजर..
50 - कांच इकाइयां
800-1000 टन - प्रतिदिन होता है कांच उत्पादन
8-10 करोड़ - एक दिन में होता है कारोबार
2000 करोड़ - एक्सपोर्ट का कारोबार
एक लाख - श्रमिकों को मिलता है रोजगार
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- ग्लास वेयर, टेबल वेयर व किचन वेयर पर 18 फीसद जीएसटी लग रहा है। सरकार से अपेक्षा है कि बजट में कांच आइटमों पर जीएसटी घटाकर पांच फीसद किया जाए। सार्क देशों में कांच उत्पाद निर्यात करने पर कोई लाभ नहीं मिलता है, सरकार को इस दिशा में ठोस प्रयास किए जाएं।
- राजकुमार मित्तल, अध्यक्ष यूपीजीएमएस - नेचुरल गैस को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। सरकार से अपेक्षा है कि कांच उत्पादन में प्रयोग होने वाली नेचुरल गैस को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। रॉ मेटेरियल पर टैक्स घटाकर 12 फीसद किया जाए। ग्लास ब्रोकन के लिए सार्क देशों से प्राथमिकता पर लाइसेंस दिलाए जाएं।
- अभिषेक मित्तल चंचल, उद्यमी - जीएसटी में ग्लास वेयर पर 18 व सिरेमिक आइटमों पर 12 फीसद टैक्स लग रहा है। सरकार से अपेक्षा है कि ग्लास केयर आइटम पर जीएसटी की दर घटाकर 12 फीसद किया जाए। माउथ ब्लोइंग व हैंडीक्राफ्ट आइटमों को जीएसटी के दायरे से बाहर किया जाए। - हेमंत अग्रवाल बल्लू, लेजर ग्लास - निर्यातकों को जीएसटी रिफंड में देरी होने के कारण तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बजट की पूर्ति के लिए बैंक से ब्याज पर कर्ज लेना पड़ता है। सरकार से अपेक्षा है कि निर्यातकों को बैंक ऋण अधिकतम दो फीसद वार्षिक ब्याज की दर से उपलब्ध कराया जाए।
- मुकेश बंसल टोनी, निर्यातक