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महंगाई की आग में झुलसने लगी चूड़ियां, हड़ताल समाप्त

पितृपक्ष गुजरने के बाद बाजार में रौनक है। लेकिन चूड़ी के रेट बढ़ने को लेकर चल रही हडताल से कांच कारोबार झुलस रहा है। पांच दिन बाद पकाई भट्ठियों की हडताल खत्म हो गई, लेकिन व्यापारी अभी हड़ताल पर हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Oct 2018 11:48 PM (IST)Updated: Wed, 10 Oct 2018 11:48 PM (IST)
महंगाई की आग में झुलसने लगी चूड़ियां, हड़ताल समाप्त
महंगाई की आग में झुलसने लगी चूड़ियां, हड़ताल समाप्त

जासं, फीरोजाबाद: पितृपक्ष गुजरने के बाद बाजार रफ्तार के लिए तैयार है, मगर चूड़ी को लेकर महाभारत छिड़ी है। महंगाई की आग में चूड़ी झुलस रही है। कीमत बढ़ने को लेकर व्यापारियों ने माल उठाना बंद कर दिया है। पांच दिनों तक पकाई भट्ठियां भी बंद रहीं तो त्योहार पर आफत के बादल मंडराने लगे। पांच दिनों से चल रहे घमासान में पकाई भट्ठियों का समझौता हो गया, मगर अब कारखानेदार और विक्रेता आमने-सामने हैं।

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सुहागनगरी के नाम से मशहूर फीरोजाबाद में बनने वाली चूड़ियां देश भर के बाजारों में बिकती हैं। सौ से ज्यादा कारखानों वाली सुहागनगरी में वर्ष 1999 से भट्ठियां कोयले की बजाय नेचुरल गैस से सुलगने लगीं। इसके बाद चूड़ी पर महंगाई की मार वर्ष दर वर्ष बढ़ने लगी। अगस्त और सितंबर में गैस के रेट बढ़ने से कारखानेदारों ने चूड़ियों के दाम बढ़ाए। कारखानों में तोड़े (लगभग 300 चूड़ियां) के दाम पर पहले पांच और फिर पांच रुपये की बढ़ोतरी हो गई। यह बढ़ोतरी आठ से दस फीसद थी। कारखाने से चूड़ी लेकर संवारने के बाद देश भर के बाजार में पहुंचाने वाले व्यापारियों ने माल न उठाने का एलान कर दिया। इसके बाद चूड़ी पकाई भट्ठियां चलाने वाले रेट बढ़ाने पर अड़े और हड़ताल हो गई। पांचवें दिन पकाई भट्ठियों का सवा दो रुपये की बढ़ोतरी पर समझौता हो गया। भट्ठी संचालक संगठन अध्यक्ष यूनुस भाई का कहना है कि सवा दो रुपये तोड़ा रेट की बढ़ोतरी पर समझौता हो गया है। गुरुवार से भट्ठियां फिर शुरू हो जाएंगी। फिलहाल चूड़ी व्यापारी बढ़ोतरी के खिलाफ लामबंद हैं। त्योहार पर खनक थमने से फूलने लगा था दम..

नवरात्र और करवाचौथ को लेकर चूड़ियों का बाजार गर्म रहता है। हालांकि देश भर में त्योहारी आर्डर लगभग पूरे हो चुके है, मगर कई व्यापारियों का माल अटका था। पकाई भट्ठियां बंद होने के कारण नुकसान का खतरा सताने लगा था।


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