ड्राइविग लाइसेंस के टेस्ट को सवा महीने की वेटिग
फीरोजाबाद जागरण संवाददाता। शासन की सख्ती से यातायात नियमों और ड्राइविग लाइसेंस को लेकर वाहन चालक जागरूक हो गए हैं। लाइसेंस बनवाने के लिए एआरटीओ कार्यालय में भीड़ उमड़ने लगी है। हालात ये हैं कि आवेदकों को ऑनलाइन टेस्ट के लिए ही सवा महीने बाद की तारीख मिल रही है। सितंबर का पूरा महीना पहले ही बुक हो गया है।
फीरोजाबाद, जागरण संवाददाता। शासन की सख्ती से यातायात नियमों और ड्राइविग लाइसेंस को लेकर वाहन चालक जागरूक हो गए हैं। लाइसेंस बनवाने के लिए एआरटीओ कार्यालय में भीड़ उमड़ने लगी है। हालात ये हैं कि आवेदकों को ऑनलाइन टेस्ट के लिए ही सवा महीने बाद की तारीख मिल रही है। सितंबर का पूरा महीना पहले ही बुक हो गया है।
सिविल लाइन स्थित एआरटीओ कार्यालय में काम भले ही सुबह दस बजे शुरू होता है, लेकिन लाइसेंस के आवेदकों की भीड़ नौ बजे से जुटना शुरू हो जाती है। इसके बाद दोपहर तक लाइन लगी रहती है। ऑनलाइन आवेदन और फीस जमा करने के बाद आवेदकों को फीस का सत्यापन एवं बायोमैट्रिक कराने के लिए कार्यालय आना होता है। एआरटीओ कार्यालय में इस कार्य के लिए अलग अलग काउंटर हैं। फिर भी भीड़ कम नहीं होती। लाइसेंस के आवेदकों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लर्निंग लाइसेंस के आवेदकों को ऑनलाइन टेस्ट भी देना होता है।
कार्यालय में एक दिन में अधिकतम 100 आवेदकों के टेस्ट हो पाते हैं। इससे अधिक आवेदन आने पर आगे की तारीख मिलती है। अभी हालात ये हैं कि सितंबर की सभी तारीखें फुल हो चुकी है। अक्टूबर में भी 11 तारीख के बाद डेट मिल रही है। इससे साफ है कि यदि आप लाइसेंस बनवाना चाहते हैं तो आपको कम से कम डेढ़ महीने का इंतजार करना पड़ेगा। टेस्ट में पास होने के बाद भी लाइसेंस बनने में कम से कम एक सप्ताह का समय लग जाता है। एआरटीओ प्रशासन पीके सिंह का कहना है कि कार्यालय में पूरी क्षमता से काम किया जा रहा है।
लखनऊ से बनकर आता है ड्राइविंग लाइसेंस:
अब तक ड्राइविग लाइसेंस स्थानीय स्तर पर बनता था। दस्तावेजों की जांच और ड्राइविग टेस्ट के बाद बायोमैट्रिक जानकारी लखनऊ भेज दी जाती है। लखनऊ मुख्यालय पर ड्राइविग लाइसेंस प्रिट होता है। इसके बाद डाक के जरिए आवेदक के घर पर पहुंचता है। ऑन लाइन आवेदन और ड्राइविग टेस्ट होने के बाद लगभग 15 दिनों में आ जाता है। यह व्यवस्था एक अप्रैल से लागू हुई है।