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बच्चों और बुजुर्ग को शिक्षा दे रहीं भुताई की अंजली

गांव भुताई में आज भी जब स्कूटी की आवाज सुनाई देती है तो बच्चे समझ जाते हैं कि उनकी टीचर अंजली आ गई हैं। वे सीधे निर्धारित स्थल पर पहुंच जाते हैं, जहां उन्हें शिक्षा दी जाती है। अंजली ने मंदिर पर पाठशाला लगाकर बुजुर्गो को भी साक्षर किया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Oct 2018 12:18 AM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2018 12:18 AM (IST)
बच्चों और बुजुर्ग को शिक्षा दे रहीं भुताई की अंजली
बच्चों और बुजुर्ग को शिक्षा दे रहीं भुताई की अंजली

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : गांव भुताई में आज भी जब स्कूटी की आवाज सुनाई देती है तो बच्चे कॉपियां ले मंदिर की तरफ दौड़ पड़ते हैं। आंखें दीदी को खोजती हैं। फिर क्या मंदिर के चबूतरे पर बैठ दीदी बच्चों को सवाल समझाती हैं। साथ ही बुजुर्ग मिल गए तो साक्षर बनाने की कवायद भी, जिसके चलते आज दो गांव भुताई व नगला मुरली के कई बुजुर्ग हस्ताक्षर करते हैं।

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सिरसागंज निवासी सरकारी शिक्षिका अंजली को हर मोड़ पर संघर्ष करना पड़ा। एमएससी के बाद 2003 में फतेहगढ़ शादी हो गई। ससुराल में ही प्रधानाचार्य पिता नरेंद्र ¨सह जादौन का सपना पूरा करने के लिए बीएड कीं। 2007 में बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी मिल गई। ज्वाइ¨नग हरदोई बॉर्डर के स्कूल में हुई। इस बीच पति की तबियत खराब होने लगी तो उनकी देखभाल की जिम्मेदारी आ पड़ी। 2009 में अंजली ने अपनी एक किडनी पति को दी, लेकिन उनकी ¨जदगी न बच सकी। ऐसे में उन्होंने खुद को समाज के लिए समर्पित करने की ठान ली। 2012 में फीरोजाबाद स्थानांतरण हो गया। यहां नगला मुरली प्राथमिक स्कूल में उन्हें पढ़ाने का मौका मिला, जिसमें भुताई के बच्चे भी आते हैं, जिनके लिए वह अब भी मंदिर में क्लास लगाती हैं, जूनियर में चले गये बच्चों को को पढ़ाती हैं।

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अब प्राथमिक स्कूल अहमदपुर

वर्तमान में प्राथमिक स्कूल अहमदपुर अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाने वाली अंजली अपने स्कूल के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए रविवार को भी एक्सट्रा क्लास लगाती हैं। कमजोर बच्चों को स्कूल के बाद में पढ़ाती हैं। रविवार को दस बजे से लगने वाली क्लास ढाई-तीन बजे तक चलती है। इसके बाद वह अपने पुराने स्कूल से जुड़े गांव भुताई व नगला मुरली के लिए निकल पड़ती हैं।

मई में समर कैंप: अंजली बताती हैं कि मेरी ¨जदगी का एक ही मकसद है, महिलाओं एवं बच्चों को आगे बढ़ाना। छुट्टियों में बच्चों के साथ मां तथा बहनों के लिए समर कैंप लगाएंगी।


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