आरौंज में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े इज्जत घर
भारत सरकार के ओडीएफ अभियान को प्रधान और अधिकारियों ने ही पलीता लगा दिया। इनके द्वारा आई धनराशि से आधे अधूरे गुणवत्ता के विपरीत शौचालय बना दिए। जांच में मामला पकड़ा और रिकवरी हुई। मगर अब तक शौचालय नहीं बन सके हैं।
संवाद सहयोगी, शिकोहाबाद: भारत सरकार के ओडीएफ अभियान को प्रधान और अधिकारियों ने ही पलीता लगा दिया। शासन से मिलने वाली धनराशि को मिलबांटकर हजम कर लिया गया। ओडीएफ घोषित हो चुके गांव आरौंज में अब भी 70 फीसद आबादी खुले में शौच को मजबूर है। चार साल में यहां एक भी शौचालय नहीं बना है।
2015 से पहले निर्मल भारत अभियान के अंतर्गत गांव आरौंज में करीब 600 शौचालय बनवाने के लिए लाखों रुपये जारी हुए थे। तत्कालीन प्रधान और सचिव ने इसमें खेल कर दिया। उन्होंने शौचालयों में बेहद घटिया सामग्री का उपयोग किया। कई शौचालयों में सीट ही नहीं लगवाई तो कई में गड्ढे नहीं खोदे। इसकी शिकायत हुई तो प्रशासन ने जांच कराई, लेकिन शौचालयों की हालत नहीं सुधरी। बाद में नए प्रधान ने भी स्वच्छ भारत मिशन में कोई काम नहीं कराया। परेशान ग्रामीणों ने कुछ शौचालयों को बाथरूम का रूप दे दिया तो कुछ ने कबाड़ रखना शुरू कर दिया। अधिकांश ग्रामीण खुले में शौच करने जाते हैं।
पूर्व प्रधान के कार्यकाल में हमसे 900 रुपये लेकर दीवारें खड़ी करा दीं, लेकिन सीट अब तक नहीं लगी। हम इसे बाथरूम के रूप में इस्तेमाल करते हैं। सुनीता, फोटो नंबर नौ
शौचालय के लिए आवेदन किया था, लेकिन नंबर नहीं आया। पूरे प्रदेश में शौचालय बन रहे हैं, लेकिन हमारे गांव की बहन, बेटियां खुले में शौच के लिए मजबूर हैं। दिनेश, फोटो नंबर 10
निर्मल भारत अभियान से आरौंज में 600 शौचालय बनवाए थे। तत्कालीन प्रधान मुन्नालाल एवं सचिव अशोक कुमार ने घटिया सामग्री का प्रयोग किया था। जांच के बाद नौ जून 2016 को दोषी पाए जाने पर उनसे 2.50 लाख की रिकवरी हुई थी। इसी धन से शौचालय बनवाए जाएंगे। -दिनेश कुमार, खंड विकास अधिकारी