लकड़ी कंडा ही सहारा, री-फिलिग नहीं कराई दोबारा
जागरण संवाददाता फतेहपुर रसोई की सुविधा के लिए सरकार ने भले ही गरीब महिलाओं को नि
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : रसोई की सुविधा के लिए सरकार ने भले ही गरीब महिलाओं को निश्शुल्क उज्ज्वला कनेक्शन देकर धुंए से राहत दी हो लेकिन हकीकत सरकारी आंकड़ों से जुदा है। दरअसल जिन 1.98 लाख गरीब महिलाओं को उज्ज्वला योजना का लाभ दिया गया है उनमें से मात्र 59400 महिलाएं हैं जिन्होंने दोबारा गैस की री-फिलिग कराई है, 138600 परिवार ऐसे हैं जिन्होंने कनेक्शन तो ले लिये लेकिन महंगाई के इस दौर में दोबारा सिलिंडर की री-फिलिग नहीं कराई। यह परिवार कनेक्शन होने के बाद भी लकड़ी-कंडा के सहारे ही रसोई का काम निकाल रहे हैं।
सरकार ने सुविधा यह मानकर दी थी कि कनेक्शन देने के बाद यह परिवार धुएं से छुटकारा पा जाएंगे और प्रतिमाह अपनी सुविधा अनुसार गैस की री-फिलिग कराकर रसोई का काम करेंगे लेकिन गरीबों के सामने हर माह सात सौ रुपये से अधिक की भरवाई आड़े आ रही है। अधिकांश महिलाएं कनेक्शन होने के बाद भी सुबह से शाम तक जंगलों में जाकर लकड़ी कंडे का इंतजाम करती है। उज्ज्वला की यह जमीनी हकीकत उन तमाम सरकारी दावों को अलग है जिनमें यह दावा किया जाता है कि ग्रामीण महिलाओं की किस्मत बदल गयी और अब वह मिट्टी के चूल्हे की जगह गैस वाले चूल्हे में रसोई का काम निपटाती है। जिले में 39 गैस एजेंसियों की री-फिलिग आंकड़े बाते है कि जिन संपन्न परिवारों के पास उज्जवला योजना के पहले से कनेक्शन हैं ऐसे 80 फीसद परिवार प्रतिमाह रिफिलिग कराते हैं, जबकि उज्ज्वला योजना से कनेक्शन पाने वाले 30 फीसद ही परिवार री-फिलिग करा पा रहे हैं।
केस एक
जब पैसा ही नहीं है कहां से भराएं गैस
-बहुआ ब्लाक के रसूलपुर गांव की गोमती, छेद्दी, सुनीता कहती है कि परिवार की मासिक आय डेढ़ हजार तक हो पाती है, ऐसे में अगर सात सौ रुपये की गैस ही भरवा लेंगे तो अन्य खर्च कहां से चलेंगे। इस लिए पुरानी पद्धति के अनुसार लकड़ी-कंडा से ही खाना बनाते हैं। इससे यह होता है कि परिवार की आय का आधा पैसा बच जाता है जो बच्चों की फीस और आम जरूरतों के काम आता है। सरकार ने कनेक्शन दिए है तो गरीबों को देखते हुए उन्हें मुफ्त में गैस भी दी जाए। तब जाकर वास्तव में महिलाओं को सुविधाएं मिलेगी। केस दो
लकड़ी-कंडा मुफ्त जबकि गैस है महंगी
-खजुहा ब्लॉक की रामसिया, सुंदरिया कहती है कि मोदी ने गैस तो दे दी लेकिन इस योजना से वह जमा पूंजी भी चली जा रही है, जो वर्षों से मेहनत मजदूरी करके जोड़ी है। इस लिए हमे तो लकड़ी कंडा ही ज्यादा सुलभ है। गांवों में गोबर और लकड़ी मुफ्त में मिल जाती है, जबकि गैस भराने के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं। सस्ते में खाना बनकर तैयार हो जाए इसके लिए गैस से अच्छा लकड़ी-कंडा है। हमने इसी लिए दोबारा गैस नहीं भराई। अगर सरकार मुफ्त में गैस की व्यवस्था करे तो महिलाओं को सुविधा मिलेगी अन्यथा योजना व्यर्थ है। जिले की कुल आबादी- 30 लाख
जिले के कुल परिवार- 4.50 लाख
गैस कनेक्शन युक्त परिवार- 2.30 लाख
री-फिलिग न कराने वाले संपन्न परिवार- 6400
उज्ज्वला के लाभार्थी री-फिलिग न कराने वाले- 138600
बिना गैस कनेक्शन वाले परिवार- 2.20 लाख