गांव की नई सरकार के सहयोग संवरेंगे स्कूल
जागरण संवाददाता फतेहपुर परिषदीय स्कूलों को संवारने के लिए ग्राम सभा की पोटली खर्च करने
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : परिषदीय स्कूलों को संवारने के लिए ग्राम सभा की पोटली खर्च करने का शासन स्तर पर निर्णय दो वर्ष पहले लिया गया था। जिले में संचालित 2,127 परिषदीय विद्यालयों में 546 विद्यालय ऐसे हैं जो आपरेशन कायाकल्प के 14 पैरामीटर पर खरे नहीं उतर पाए हैं। इन विद्यालयों में कहीं फर्श बनी है तो टाइल्स नहीं लगे हैं तो कहीं पर जल निकासी की व्यवस्था नहीं है जैसे तमाम समस्याओं से जकड़े हुए हैं। बीएसए ने गांव में नई सरकार बनने के बाद कमर कसी है। प्रधानाध्यापकों को निर्देशित किया है कि वह प्रधान और सचिवों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क साधकर अधूरे और छूटे काम के लिए प्रयास करें।
आपरेशन कायाकल्प के तहत प्राथमिक, जूनियर और कंपोजिट विद्यालयों को 14 पैरामीटर में फिट उतारने की कवायद की गयी है। 14 पैरा मीटर में स्कूल की छत, बाउंड्रीवाल, फर्श, टाइल्स, स्कूल के अंदर का रास्ता, जल निकासी, शौचालय, सफाई, ब्लैक बोर्ड आदि समस्याओं के निस्तारण का खाका खींचा गया था। इन आदेश के तहत जिले के विद्यालयों का कायाकल्प हुआ है इससे इन्कार नहीं किया जा सकता है। आपरेशन कायाकल्प से छूटे परिषदीय विद्यालयों के पीछे तर्क रहा है कि प्रधान रुचि नहीं ले रहे हैं। बिना प्रधान के रुचि लिए विद्यालयों को नहीं जोड़ा जा सकता है। बीएसए संजय कुमार कुशवाहा ने कहाकि आपरेशन कायाकल्प से शत प्रतिशत विद्यालयों को जोड़ा जाना शासन की मंशा है। इसमें स्थानीय स्तर पर जो दिक्कतें आ रहीं हैं वह दूर की जाएंगी। उन्होंने कहाकि असोथर ब्लाक में आयोजित बैठक में बीते दिनों उन्होंने शासन की मंशा जता दी है। यह भी बताया है कि गांवों में नए प्रधान बने हैं। प्रधानाध्यापक सचिवों और प्रधानों से व्यक्तिगत रूप से संपर्क करें। विद्यालय की मूलभूत जरूरतों को उनके संज्ञान में डालें। इसके बाद बीडीओ और बीईओ आपरेशन कायाकल्प में हिस्सा बनेंगे। इसके बाद कोई दिक्कत आती है तो वह खुद डीएम से मिलकर ग्राम निधि से विद्यालयों में आपरेशन कायाकल्प के तहत काम करवाएंगे। व्यवस्था पर एक नजर
परिषदीय स्कूल : 2127
आपरेशन कायाकल्प से चमके : 1581
आपरेशन कायाकल्प से छूटे : 546 बीईओ बनवाएंगे छूटे विद्यालयों की सूची
ग्राम निधि से परिषदीय विद्यालयों का कायाकल्प किए जाने की योजना में आ रही दिक्कतों को बीईओ दूर कराएंगे। इसके लिए जिले के सभी 13 ब्लाकों के बीईओ अपने स्तर से विद्यालयों की सूची बनवाएंगे। ऐसे विद्यालय जिनमें आपरेशन कायाकल्प की ईंट नहीं रखी गई है या फिर कुछ काम करवाकर छोड़ दिया गया है। खंड विकास अधिकारियों से लेकर डीएम तक इस सूची के सहारे काम कराए जाने की मंशा है। ग्राम सभा की धरोहर हैं परिषदीय विद्यालय
बीएसए ने कहाकि गांव-गांव खुले परिषदीय विद्यालय ग्राम सभाओं की धरोहर हैं। सरकारी संपत्ति की सुरक्षा और संवारने को लेकर जहां जहां कोशिश हुई है। वह विद्यालय जिले में नामचीन हो गए हैं। गांव के धरती पर संचालित हो रहा सजा संवरा विद्यालय ग्रामसभा की संजीदगी की कहानी बयां करता है। ऐसे में प्रधानों के साथ समन्वय स्थापित करके काम करवाया जाए तो इससे बेहतर कोई रास्ता नहीं हो सकता है।