ग्रामीणों की सूझबूझ से साल भर रहता तालाबों में पानी
संवाद सहयोगी खागा तालाब नदियां और झील जल संग्रहण के प्रमुख स्त्रोत होते हैं।
संवाद सहयोगी, खागा : तालाब, नदियां और झील जल संग्रहण के प्रमुख स्त्रोत होते हैं। शहरी क्षेत्र में भले ही यह नदारद हो चुके हों, ग्रामीणांचल में अभी भी इनको संजोने की परंपरा बरकरार है। बिना बारिश के तालाबों को पानी से भरे रखने में गांव के लोग पूरे मनोयोग से मदद करते हैं। प्राचीन धरोहरों को लंबे समय तक संरक्षित रखा जाए, इसके लिए भी पहल होती है।
विजयीपुर ब्लाक के शाहजहांपुर सेलरहा गांव में ग्रामीणों की मदद से ज्यादातार तालाबों को साल भर तक पानी से भरा रखा जाता है। ग्रामीणों का कहना था गांव में आधेश्वर महादेव मंदिर के पास स्थित प्राचीन तालाब में कभी भी पानी की कमी नहीं होती है। इसके अलावा लोधे तालाब, चांदी तारा, पथिया तारा, किकिहा तालाब तथा मुराइन तालाब हैं, जहां ग्रामीणों की मदद से वर्षा जल को संजोकर रखा जाता है। आधेश्वर मंदिर के पास स्थित तालाब में कमल पुष्प भी पाए जाते हैं। इनकी तलाश में साल भर लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। लाला, शिवनंदन, अमरपाल, राजू पाल, लवकुश आदि ग्रामीणों ने बताया कि तालाबों में पानी कम होने पर सभी लोग मिलकर उसका प्रबंध करते हैं। गांव के किनारे से गुजरी निचली गंगा नहर से जिन तालाबों तक पानी आसानी से पहुंच जाता है, उन्हें भरा जाता है। इन तालाबों तक नहर का पानी नहीं पहुंच पाता है, उन्हें निजी नलकूप से भरा जाता है। वर्षा जल संचयन के साथ ही आबादी के नजदीक स्थित तालाबों तक घरों का पानी पहुंचाने के लिए नालियां बनाई गई हैं। ग्रामीणों का कहना था आधेश्वर मंदिर के पास स्थित तालाब में पक्के घाट बने होने से लोग यहां नहाने आते हैं। ग्रामीणों का कहना था पानी प्रदूषित न होने पाए इसका भी पूरा ध्यान दिया जाता है। मवेशियों को तालाब में नहलाने तथा कचरा फेंकने पर ग्रामीणों को रोका जाता है। ग्रामीणों का कहना था तालाबों की वजह से ही गांव के अंदर लगे हैंडपंप साल भर तक उन्हें शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराते हैं।