तीन दशक से सियासत में फंसी सीवर लाइन
कामन इंट्रो नब्बे के दशक से शहर में सीवर लाइन योजना का सपना दिखाया जाता रहा है। समय के
कामन इंट्रो
नब्बे के दशक से शहर में सीवर लाइन योजना का सपना दिखाया जाता रहा है। समय के साथ सियासी चेहरे बदलते रहे, सियासत भी करवट लेती रही लेकिन, सीवर लाइन योजना साकार रूप में न बदल सकी। हर चुनाव में राजनीतिक दलों ने शहर को यह सौगात देने का वादा करके छलने का ही काम किया। अब तो हालात ये हैं कि यदि सीवर लाइन की बात छेड़ दीजिए तो इसको लेकर नाउम्मीद हो चुके शहर के लोग इस पर बात ही नहीं करना चाहते। उनका गुस्सा फूट पड़ता है, कहते हैं कि योजना को सियासत में ही कैद करके रख दिया गया है। नेता इसे क्रियान्वित ही नहीं करना चाहते हैं, केवल चुनाव का मुद्दा बनाए हैं। वर्ष 1989 में सांसद और प्रधानमंत्री बनने के बाद वीपी सिंह ने 16 करोड़ रुपये लागत वाली इस योजना का शिलान्यास पत्थर लगा दिया। उसके बाद से योजना फाइलों और वादों में उलझकर रह गई है। शहर की बड़ी समस्या पर जयकेश पांडेय की रिपोर्ट-
फतेहपुर : हर लोकसभा, विधानसभा और नगर निकाय के चुनाव में सीवर लाइन योजना मुद्दा बनी। वादे हुए। जनप्रतिनिधि बस कार्यकाल पूरा करते रहे, इस बहुप्रतीक्षित योजना में अंतिम मुहर नहीं लगवा पाए। अभी तक केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से सीवर लाइन बनने के प्रस्ताव पर अड़चन केंद्र और राज्य में एक राजनीतिक दल की सरकार न होने का ढिंढोरा पीटा जाता रहा है। मौजूदा समय में दोनों सरकारें एक ही दल की हैं, इसके बावजूद प्रस्ताव अंतिम मुहर लग फाइल से बाहर नहीं आ सका। हावड़ा-दिल्ली रेलमार्ग के चलते दो भागों में बंटे शहर में घरों का गंदा पानी तालाबों में जमा होता है। तालाबों के सिकुड़ते स्वरूप के चलते अब गंदे पानी के संचयन में दिक्कत हो रही है। जलभराव जैसी समस्या से शहरी जूझ रहे हैं। ड्रेनेज सिस्टम न होने के चलते गलियों और मुख्य सड़कों पर गंदा पानी उतराता रहता है। छह बार बन चुका डीपीआर
नब्बे के दशक से अब तक छह बार योजना का डीपीआर बनाया जा चुका है लेकिन, फाइनल नहीं हो पाया है। अमृत योजना के तहत फरवरी में 883 करोड़ रुपये का डीपीआर जल निगम ने बनाया और शहर का दक्षिणी और उत्तरी आबादी शामिल की गई। इसके अलावा अशुद्ध पानी को शुद्ध करने के लिए तीन जगहं पंपिग सेट-एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) लगाए जाएंगे। पानी को शोधित करके ससुर खदेरी नदी में छोड़ा जाएगा। 124 किमी दायरे की यह योजना स्वीकृत होने की इंतजारी में पड़ी हुई है।
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कार्यक्षेत्र : सदर पालिका
दायरा : 5 किमी वृत्तीय परिधि
आबादी : 2.5 लाख
भवन : 80,000
मुहल्ले : 145
वार्ड : 34
कार्यदायी संस्था : जल निगम
चयनित योजना : अमृत निर्माण की बदली व्यवस्था, अमृत योजना में चयन
वर्ष 2014 तक सीवर लाइन योजना जैसे निर्माण कार्यो 60 फीसद केंद्रांश और 40 फीसद राज्यांश खर्च हुआ करता था। मोदी सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया। शहरी क्षेत्रों में विकास के लिए अमृत योजना चलाई, जिसमें पूरा खर्च केंद्र सरकार ही वहन करेगी। जल निगम ने डीपीआर बनाकर भेजा है लेकिन, अभी तक राज्य सरकार के नगर विकास मंत्रालय से पास होकर केंद्र सरकार के पास नहीं पहुंच पाया है।
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बोले नेता
नगर पालिका प्रशासन ने एसटीपी के लिए जगह देने में हीलाहवाली की। डीएम आंजनेय कुमार सिंह को लगाकर जमीन की दिक्कत दूर कराई गई। प्रदेश सरकार तक फाइल पहुंची तो पैरवी की गई। लोकसभा चुनाव के बाद इस योजना को क्रियान्वित कराकर जनता को सौगात दी जाएगी।
-साध्वी निरंजन ज्योति, सांसद एवं भाजपा प्रत्याशी
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सीवर लाइन योजना शहर के लिए बहुत उपयोगी है। इसके लिए डीपीआर बनवाए गए लेकिन, अंतिम मंजूरी नहीं मिल पाई। सांसद रहते हुए कई प्रयास किए। नगर निकाय मंत्रालय में पैरवी के बाद उनका कार्यकाल खत्म हो गया। मौका मिला तो इसके लिए संघर्ष करने से पीछे नहीं रहेंगे।
-राकेश सचान, कांग्रेस प्रत्याशी
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सीवर लाइन योजना जिम्मेदारों की लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। शहर में न जाने कब पहले यह योजना लागू हो जानी चाहिए थी। वादा करता हूं कि कि निष्ठा के साथ इसकी मंजूरी दिलाने में काम करेंगे और जनता की दिक्कतों को खत्म कराएंगे।
-सुखदेव वर्मा, गठबंधन प्रत्याशी