गीत व कविताओं से कोरोना से लड़ने की दे रहे ताकत
- सोशल साइट व्हाट्सएप पर गीत फैला रहें जागरुकता संवाद सहयोगी बिदकी वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से लड़ने के लिए योद्वा भी मैदान में सामाजिक सेवाएं दे रहे हैं। इनमें चिकित्सक पुलिस नगरपालिका कर्मी समाजसेवी भी शामिल हैं। यहां राष्ट्रकवि पंडित सोहनलाल द्विवेदी की जन्मस्थली बिदकी में वयोवृद्ध कवि वेप्रकाश मिश्र भी एक हैं जो कविता के माध्यम से हर सुबह कोरोना के प्रति आम जनमानस को जागरुक कर रहे हैं।
संस, बिदकी : लॉकडाउन है, लॉकडाउन है..। जी हां ऐसे समय में घरों में लोग तरह-तरह के काम निपटा रहे हैं या फिर मोबाइल में समय गुजार रहे है। इन सबके बीच कस्बे के वरिष्ठ साहित्यकार व कवि वेद प्रकाश मिश्र संकट की इस घड़ी में घर में बैठकर देश व समाज के प्रति अपना फर्ज निभा रहे हैं। वह रोजाना कोरोना वायरस से सजग करते हुए गीत लिखकर सोशल मीडिया में वायरल कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। ।
राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी के सानिध्य में रहकर साहित्य के क्षेत्र में आए वेद प्रकाश मिश्र कहते हैं कि अब उम्र ऐसी नहीं कि बाहर निकलकर किसी की कोई मदद कर सकें, पर प्रतिदिन जब से लॉकडाउन हुआ कोरोना पर जागरुकता के लिए एक कविता लिखते हैं। यह कविता व्हाट्सएप ग्रुपों में शेयर करते हैं। कविता के माध्यम से लोगों को सतर्क, बचाव के साथ घर में रहने का संदेश देते हैं। सैकड़ों लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रियाएं आती है तो उनका भी मन खुश हो जाता है। कविताएं कुछ यूं है..। ' नहीं सजाएं स्वप्न मिलने के, दूर-दूर अब रहना सीखें। चमगादड़ लाया कोरोना, हंता को गति चूहों ने दी, डरे नहीं बस सजग रहे हम।, लॉकडाउन है, लॉकडाउन, घर रहकर ही समय गुजारें, हाटें बंद, बंद बजारें, सन्नाटे में शहर व टाउन।, खतरा वहीं, जहां न दूरी, नहीं किसी से हाथ मिलाएं, हाथ जोड़कर काम चलाएं, दूरी रखना बहुत जरूरी।, कोरोना के केस बढ़ रहे, नहीं नियंत्रण में बीमारी, कुछ सख्ती में अनुशासित है, कुछ को इसकी फिकर नहीं।'