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डाकिया बने बुजुर्गो के मददगार

जागरण संवाददाता फतेहपुर साठ साल की उम्र के बाद थके शरीर को बैंक और कोषागार के

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 06:26 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 06:26 PM (IST)
डाकिया बने बुजुर्गो के मददगार
डाकिया बने बुजुर्गो के मददगार

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : साठ साल की उम्र के बाद थके शरीर को बैंक और कोषागार के चक्कर लगाने की समस्या का अंत डाक विभाग ने कर दिया है। साल भर में जमा होने वाला जीवित प्रमाणपत्र अब डाक विभाग घर जाकर ऑनलाइन सिस्टम से जिला कोषागार में भेज रहा है। डाकिया इस काम को बखूबी निभा रहे हैं। सुविधा और व्यवस्था भले ही अफसरों के द्वारा बनाई गई हो लेकिन काम को अंजाम देने वाले डाककर्मी खासे सराहे जा रहे हैं।

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अशक्त शरीर के चलते अब कोई काम पेंशनरों के वश में नहीं है। जीवित प्रमाण पत्र जब घर बैठे बन जाता है तो कांपते हुए हाथ डाककर्मियों के सिर पर फेर कर बुजुर्ग शुभाशीष के वचन अनायास निकल आते हैं। आशीर्वाद सुनकर डाककर्मियों को काम करने का ऊर्जा मिल रही है। इस काम में डाक विभाग के नियमित कर्मियों समेत संविदा पर रखे गए डाकसेवक जीवित प्रमाण पत्र बनाने का काम कर रहे हैं। शहर से गांव-गांव तक मिल रही यह सुविधा वरिष्ठजनों के लिए खासी मददगार साबित हुई है।

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डाक विभाग का यह काम बेहद सराहनीय है। पेंशनरों के दिलों में अब विभाग राज करेगा। आशक्त शरीर को अब बैंक और डाक विभाग के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। सुशील श्रीवास्तव, पेंशनर

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90 साल की उम्र में सरकार द्वारा दी जा रही पेंशन खासी मददगार है। वहीं डाक विभाग द्वारा घर बैठे जिस तरह से जीवित प्रमाण पत्र बनाने का काम किया गया है। वह सराहनीय है। श्याम किशोर श्रीवास्तव

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- जीवित प्रमाण पत्र बनाने के काम को डाक विभाग ने आसान कर दिया है। विभाग के सराहनीय कार्य को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। कमला देवी

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- जीवित प्रमाण पत्र के लिए पहले चक्कर और लाइन लगानी पड़ती थी। हमने तो डाक विभाग से ऑनलाइन प्रमाण पत्र बनवा कर जमा किया है। विभाग की योजना बहुत अच्छी है। रमा श्रीवास्तव

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इस तरह बन जाता है जीवित प्रमाण पत्र

डाक विभाग के उच्चाधिकारियों द्वारा जीवन प्रमाणपत्र एप लांच किया गया है। संचार क्रांति के तहत डाक विभाग ने सभी डाकियों और डाकसेवकों को ऑनलाइन भुगतान के लिए मोबाइल दिए हैं। इस मोबाइल के माध्यम से डाककर्मी पेंशनर के घर पहुंचते हैं। उनके पीपीओ नंबर, आधार कार्ड नंबर, पैन कार्ड आदि एप में डालते हैं तो पेंशनर का कोषागार का एकाउंट आ जाता है। मशीन में अंगुलियों अथवा अंगूठे का निशान लेकर सबमिट कर दिया जाता है। सबमिट करते ही यह ऑनलाइन सिस्टम से कोषागार में सीधे पहुंच जाता है। जीवित प्रमाण पत्र जारी करने वाला डाककर्मी यह काम डाक विभाग द्वारा जारी किए गए उसके कोड से होता है। जिसके एवज में डाकविभाग को 70 रुपये मिलते हैं।


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