कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : छठ पूजा का पर्व पूरी श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : छठ पूजा का पर्व पूरी श्रद्धा एवं उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। देवी आराधक छठ मइया के प्रताप से घर में खुशहाली लाने के लिए पूरे विधि विधान से आराधना कर रहे हैं। सोमवार को पंचमी तिथि पर मां की आराधना के लिए घरों में उल्लास दिखाई दिया। दिनभर निर्जला व्रत रखकर महिलाओं ने दिन भर खीर-पूड़ी का भोग बनाया। अस्ताचलगामी सूर्यदेवता को अर्ध्य देकर पारण (व्रत तोड़ना) किया। आदिशक्ति मां छठ की पूजा अर्चना करके भोग प्रसाद का परिवार में वितरण हुआ। उत्सवों वाले घरों में खरना दिन पर व्रती महिलाओं ने देवी के सोहर कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए, भरिहवा जै होउं कवनरम भार घाटे पहुंचाए.. गीत गुनगुनाकर आशीर्वाद की कामना की। पौराणिक मान्यता के अनुसार छठ मइया भगवान सूर्य की मानस बहन हैं। सूर्य उपासना का यह महापर्व संतान की मनोकामना सहित परिवार में विभिन्न बाधाओं का हरण करने के लिए मनाया जाता है। जिले में सूर्य उपासना का यह महापर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पड़ोसी मुल्क नेपाल में मनाए जाने वाले प्रमुख पर्व की छटा से जिला भी नहाया हुआ है। पूजा मनाने वाले घरों में उत्सव जैसा माहौल चल रहा है। दिन-रात देवी की आराधना की जा रही है। घरों में बनाए जा रहे पकवानों की सुगंध से आसपास खुशबू बिखर रही है। शहर के पीएसी और पुलिस लाइन में रात जागरण में लीन परिवारों की तल्लीनता देखते ही बन रहा है। शहर के पीएसी, पुलिस कॉलोनी के अलावा फैक्ट्री एरिया मलवां-सौरा, रेलवे कॉलोनी आदि में पर्व की धूमधाम से मनाया जा रहा है।
....................
- पर्वों में छठ पूजा मेरे लिए महापर्व है। इस पर्व का साल भर इंतजार रहता है। परिवार के साथ छठ मइया की आराधना की जाती है और उसका आशीर्वाद भी मिलता है।-अनीता शाह।
- सूर्य उपासना का यह व्रत पूरी श्रद्धा एवं पाक-साफ होकर मनाया जाता है। छठ मइया की प्रसन्नता पाने के लिए पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह पर्व मनाया जाता है।-संध्या देवी। संतान की मनोकामना के साथ यह छठ पूजा परिवार की सभी विघ्न बाधाओं को हरने वाली होती है। देवी मां शुद्धता और पवित्रता के साथ की गई पूजा से प्रसन्न होकर वरदान देती हैं।-रीता ¨सह।
खरना के दिन दिनभर महिलाएं निर्जला व्रत रहती हैं और फिर शाम पहर चंद्रोइय से पहले सूर्य की लालिमा को प्रणाम करते हुए परायण करती हैं और फिर भोग प्रसाद परिवार में वितरण करती हैं।-सुमित्रा ओझा।
.....................
इन कामों से उपासक रहते दूर
- लोहे, स्टील, प्लास्टिक के पात्र से सूर्य को अर्ध्य देना वर्जित मानते।
- व्रत के समय कोई भी सदस्य मांसाहार भोजन से बनाई जाती दूरी।
- धूम्रपान, शराब सेवन से दूरी बनाते हैं व्रती के परिवार वाले।
- घर में बनने वाले भोजन में लहसुन-प्यास वर्जित होता है।
- प्रसाद बनाने वाली जगह में भोजन नहीं किया जाता है।
- पूरी पूजा में गंदे कपड़े पहनने की मनाही रहती है।
- छठ पूजा के दौरान पलंग या बिस्तर पर सोने की रहती मनाही।
- ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं व्रती परिवार के लोग।
- पूजा के दौरान दूसरों की ¨नदा नहीं करनी चाहिए।