आफत में किसान, अब दूसरे जिले में छोड़ रहे बेसहारा जानवर
जागरण टीम, फतेहपुर : अभी तक स्कूल और स्टेडियम में पशुओं को बंद करने वाले किसानों ने सर
जागरण टीम, फतेहपुर : अभी तक स्कूल और स्टेडियम में पशुओं को बंद करने वाले किसानों ने सरकार की सख्ती के बाद दूसरा रास्ता अख्तियार कर लिया है। किसान अपने यहां के पशु को अब दूसरे जिले में ले जाकर छोड़ रहे हैं। यह आफत टूटी है, अन्ना पशुओं से पहले से ही परेशान फतेहपुर जिले में। जहां बुंदेलखंड के किसानों ने हजारों मवेशियों को या तो यहां छोड़ दिया है या हांक दिया है। हाल यह है कि किसानों को सर्द रातों में मवेशियों से फसल बचाने के लिए पहरेदारी करनी पड़ रही है।
क्षेत्रीय किसान गुलाब, साधू यादव, रामपाल ने बताया कि गांव के लोग अपने जानवरों को बांधकर रखते हैं। बांदा जिले के चंदवारा, गलौली, कानाखेड़ा, गाजीपुर, गढ़वा, मवई, इछौर, चौकी पुरवा गांव के लोग पीपा पुल से मवेशियों को रात में इस पार छोड़ गए है। उस पार से आए मवेशी फसलें बर्बाद कर रहे हैं। मजबूरन डांडा अमौली के किसान बाबू ¨सह की तरह तकरीबन हर गांव के किसान रात में फसल की पहरेदारी कर रहे हैं। असोथर व बहुआ ब्लाक के गोकन, सरकंडी, लिलरा, ओती, दतौली, मुत्तौर, सेवरामऊ, सरवल आदि गांवों में अन्ना मवेशियों का झुंड घूम रहा है। अंधेरे में पिकअप से छोड़े जा रहे पशु
ग्रामीणों के मुताबिक बांदा और हमीरपुर से लोग रात के अंधेरे में पिकअप में भरकर गोवंश को यहां छोड़ रहे हैं। बचने के लिए खेतों की सुरक्षा के लिए कटीले तार लगवा रहे हैं। विजयीपुर ब्लाक के रामपुर, मददअलीपुर, अंजने भैरो, शिवकंठ का डेरा तथा मौहारी आदि गांव के लोगों ने बताया कि बांदा जनपद के मटेहना, मुंडवारा, चरका-मरका के किसानों से पशु छोड़ने को लेकर कई बार मारपीट तक हो चुकी है।
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''जिले के खुले घूम रहे पशुओं की गणना कराई जा रही है। ऐसे पशुओं को गोशालाओं में रखा जाएगा। बाहर से आने वाले पशुओं की रोकथाम के लिए सीमा पर पुलिस को सतर्क किया गया है। वाहन से मवेशी इस पार छोड़ने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।''
- आंजनेय कुमार ¨सह, जिलाधिकारी