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परीक्षा रद होने कुछ छात्र खुश तो कुछ हुए मायूस

जागरण संवाददाता फतेहपुर कोरोना की वजह से सीबीएसई हाईस्कूल की परीक्षा को रद करने

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Apr 2021 08:48 PM (IST)Updated: Wed, 14 Apr 2021 08:48 PM (IST)
परीक्षा रद होने कुछ छात्र खुश तो कुछ हुए मायूस
परीक्षा रद होने कुछ छात्र खुश तो कुछ हुए मायूस

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : कोरोना की वजह से सीबीएसई हाईस्कूल की परीक्षा को रद करने की घोषणा बोर्ड ने कर दी, वहीं इंटर की परीक्षा हाल-फिलहाल टाल दी गई है। परीक्षाएं रद होने से कहीं खुशी तो कहीं गम का माहौल देखने को मिल रहा है। परीक्षार्थियों का मानना है कि औसत अंक देने से मेधा का सही आकलन नहीं होगा, बेहतर होता कि यह परीक्षाएं फरवरी माह में ही करवा ली जातीं। परीक्षाओं को रद व टालने पर परीक्षार्थियों ने कुछ यूं अपनी प्रतिक्रया दीं।

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यूं तो लगभग पूरे सत्र में ही घर पर रहकर ऑनलाइन ही परीक्षा की तैयारी की है, अब जबकि परीक्षाएं एक पखवारे बाद होनी थी, एक बार फिर टाल देने से संशय के बादल मंडराने लगे हैं। बेहतर होता कि फरवरी माह ही परीक्षाएं करा ली जातीं तो मेधा का सही आकलन हो जाता।

- अंकित सिंह, इंटर

कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से एक बार फिर परीक्षाओं पर ग्रहण लग गया है। निश्चित ही इस बार पठन-पाठन पूरी तरह से प्रभावित रहा। परीक्षा तिथि घोषित होने के बाद आस जगी थी कि कम से कम परीक्षाएं देने का अवसर मिलेगा लेकिन एक बार फिर टाल देने से तैयारियों पर ब्रेक लग गया है।

रिमझिम, इंटर

10वीं की परीक्षाएं रद होने से मेधा का सही आकलन नहीं होगा लेकिन संक्रमण के दौर में यह जरूरी भी था लेकिन बाद में अगर परीक्षाएं करवा ली जातीं तो मेधा का आकलन हो जाता। अब जबकि परीक्षाएं बोर्ड ने रद कर दी हैं तो मन मसोस कर इसे स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

माहिया, हाईस्कूल

हाईस्कूल बोर्ड की परीक्षाओं में ही मेधा का सही आकलन होता है। परीक्षाएं कतई नहीं रद करनी चाहिए। इससे बेहतर यह होता कि यह सत्र शून्य कर दिया जाता। जिससे अभिभावकों को भी थोड़ी राहत मिलती। पूरे वर्ष भर की तैयारी के बाद नतीजा सिफर ही साबित हुआ।

अर्पिता गुप्ता, हाईस्कूल

निर्णय जल्दबाजी में लिया गया

सीबीएसइ की 10वीं की परीक्षाएं रद करने का निर्णय जल्दबाजी में लिया गया। निश्चित ही इससे मेधा का सही आकलन नहीं हो पाएगा। अगर इंटरनल असिसमेंट के आधार पर उन्हें अंक दिए जाते हैं तब भी संबंधित विद्यालय पर सवाल उठने लाजमी है। पहली बार परीक्षार्थियों से मुख्य व प्रायोगिक परीक्षा का शुल्क वसूला गया, इस शुल्क के संबंध में भी अभी कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए। बेहतर होता कि यह परीक्षाएं फरवरी-मार्च में करवा ली जातीं।

प्रमोद कुमार त्रिपाठी, प्रधानाचार्य महर्षि विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल-फतेहपुर


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