किराये पर दी कॉलोनी, फुटपाथ पर आशियाना
केस एक... पेट पालने को लिए किराये पर उठाया शहर के पत्थरकटा चौराहे के निकट प
केस एक...
पेट पालने को लिए किराये पर उठाया
शहर के पत्थरकटा चौराहे के निकट पन्नी तानकर अपने दो बेटों के साथ रह रही एक विधवा ने बताया कि उसके पास कांशीराम कालोनी का आवास है। अफसरों ने आवास तो दिया लेकिन, रोजी-रोटी की जद्दोजहद तो खुद करनी पड़ती है। कालोनी किराये पर देने से कुछ पैसे मिल जाते हैं और फुटपाथ पर चाय का ठेला लगाकर रोजगार हो जाता है। अगर कालोनी में रहने वालों को रोजगार दिया जाए तो लोग किराये पर क्यों उठाएं।
केस दो..
एक दिव्यांग को शहर के महर्षि स्थिति कांशीराम कालोनी में आवास मिला है। दोनों पैरों से दिव्यांग होने के कारण कोई काम नहीं कर सकते है लिहाजा, अपनी कालोनी को ढाई हजार रुपये किराये पर उठा दिया है। वह बताते हैं कि दिव्यांग पेंशन भर से गुजारा होता नहीं है, इसलिए कालोनी को किराये पर उठा दिया है। अब जीविका चल जाती है। हर दिन शहर के अलग-अलग फुटपाथ पर रात गुजर जाती है।
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जागरण संवाददाता, फतेहपुर :
सरकार की दी सुविधा का लाभ गरीब अपने तरीके से उठा रहे हैं। शहरी आवास योजना के तहत अलग- अलग तीन कालोनियों में 1280 गरीबों को पूर्ववर्ती बसपा सरकार ने आवास प्रदान किए थे। अब इन कालोनियों का हाल यह है कि अधिकांश गरीब आवास किराये पर उठा कर फिर से फुटपाथ पर बस गए हैं। सरकार की मंशा थी कि गरीब को रहने के लिए पक्की छत मिले तो इनके जीवन स्तर में सुधार आए। लेकिन, रोजी-रोजगार न होने के कारण इन गरीबों ने मिले आशियाने को जीविका का साधन बना लिया है। इसकी शिकायत मिलने के बाद भी प्रशासन हर बार सत्यापन कराए जाने का हवाला देकर मामला टाल देता है।
अराजक व अपराधियों का जमावड़ा
किराये पर कालोनी के आवास लेकर रहने वाले लोगों के बारे में चर्चा है कि अराजक और आपराधिक तत्व ही यहां रहकर अपना नेटवर्क चलाते हैं। पुलिस की निगाह भी इन तक नहीं पहुंचती, चूंकि जब कभी भी जांच पड़ताल होती है तो कालोनी का आवंटन गरीब के नाम निकलता है।
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निरस्त कर फिर से करेंगे आवंटन
कांशीराम कालोनियों को किराए पर उठाने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। यह भी हो सकता है कि किराए पर रहने वाले लोग अपराधों में लिप्त हों। हम जांच कराएंगे। जो लोग भी अपनी कालोनी किराए पर उठाए हैं। उनका आवंटन निरस्त कर नए सिरे से गरीबों को पुन: आवंटन किया जाएगा।
-पप्पू गुप्ता, एडीएम