ठंड का कहर जारी, तापमान पहुंचा पांच डिग्री, एक की मौत
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : बर्फीली हवाओं का कहर जारी है। आम जनमानस भीषण ठंड में का
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : बर्फीली हवाओं का कहर जारी है। आम जनमानस भीषण ठंड में कांप उठा है, वहीं पशु-पक्षी भी बेहाल हो उठे हैं। मंगलवार को भोर पहर शीतलहर व कोहरे से जनजीवन अस्त व्यस्त रहा लेकिन सर्द हवाओं के बीच सुबह से चटख धूप खुल गई। जिससे आम जनमानस के साथ पशु पक्षियों ने राहत की सांस ली। बच्चे सिर में टोपी पहनकर स्कूल गए लेकिन दोपहर बाद जब स्कूल आए तो चटख धूप की वजह से उनके चेहरे खिले खिले रहे। शाम ढलते ही फिर से शीतलहर ने पैर पसार लिए। न्यूनतम तापमान 5 डिग्री सेल्सियस व अधिकतम 20 डिग्री सेल्सियस रहा। सार्वजनिक जगहों पर अलाव की व्यवस्था होने से आम जनमानस ने राहत की सांस ली। रेलवे स्टेशन में कोहरे की वजह से ट्रेनों की लेटलतीफी बदस्तूर जारी रही।
हाड़ कंपाने वाली ठंड ने हर एक को बेहाल करके रख दिया है। शाम ढलते ही मौसम का मिजाज बेहद सर्द हो जाता है। वहीं सुबह तो लोग घरों के अंदर ही दुबके रहते हैं। विशेषकर छोटे बच्चे व बुजुर्गों का बुरा हाल है। ऐसे में मार्निंग वाक में जाने वाले लोगों की तादाद बहुत कम हो गई है। हालांकि बर्फीली हवाओं के बीच निकली चटख धूप संजीवनी साबित हो रही है। सुबह पहर तो स्थिति और अधिक खराब हो जाती है। सुबह लोग घरों से निकलने में बहुत सावधानी बरतते हैं। मांटेसरी व कान्वेंट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे मफलर, टोपी व ब्लेजर पहनकर स्कूल को रवाना होते हैं। सबसे बुरा हाल तो परिषदीय प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का है। भीषण ठंड की वजह से स्कूलों में छात्र संख्या निरंतर कम होती जा रही है। कई प्राथमिक स्कूलों में तो ठंड की वजह से छात्र संख्या नगण्य ही रही। विभिन्न यात्री ट्रेनों की लेटलतीफी सिलसिला बदस्तूर जारी है। ऐसे में गंतव्य तक पहुंचने के लिए रेलवे प्लेटफार्म पर यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ता है।
सुबह रेंगता रहा सड़क यातायात
सुबह धुंध व कोहरे की वजह से सड़क यातायात बुरी तरह से प्रभावित रहा। रोडवेज बसों के अलावा अन्य छोटे-बड़े वाहन बहुत धीमी रफ्तार में सड़कों पर रेंगते हुए नजर आए। बसों की लेटलतीफी की वजह से रोडवेज बस स्टाप पर मुसाफिरों को घंटों इंतजार करना पड़ा।
अलाव की लकड़ी जुटाते रहे ग्रामीण
शहरी इलाकों में तो नगर पालिका व पंचायतों की तरफ से सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था कर दी गई है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में ठंड से बचाव के लिए लकड़ी का प्रबंध स्वयं ग्रामीणों को करना पड़ता है। ऐसे में ग्रामीण कुनबे के साथ सड़क किनारे के ठूंठ या फिर झाड़ियों को काटकर लकड़ी जुटाने में लगे रहे।