तीन दिन से हो रही थी रेकी, कोड से खुलेगा भ्रष्टाचार
सोमवार को एआरटीओ कार्यालय में छापा यूं ही नहीं पड़ा बल्कि प्रशासन इसकी तैयारी हफ्ते भर से कर रहा था। कार्यालय में गुरुवार को जहां खुफिया पुलिस की रेकी लगा दी गयी थी वहीं शुक्रवार को डीएम ने छापा मारने के लिए मजिस्ट्रेटों के नाम तय कर दिए थे। यह बात अलग है कि प्लान इनता फूलप्रूफ था कि किसी को कानों-कान खबर नहीं हो पाई। छापा मारने से पहले ही खुफिया पुलिस के दो सदस्य एआरटीओ कार्यालय के इर्द-गिर्द देखे गए।
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: सोमवार को एआरटीओ कार्यालय में छापा यूं ही नहीं पड़ा बल्कि प्रशासन इसकी तैयारी हफ्ते भर से कर रहा था। कार्यालय में गुरुवार को जहां खुफिया पुलिस की रेकी लगा दी गयी थी, वहीं शुक्रवार को डीएम ने छापा मारने के लिए मजिस्ट्रेटों के नाम तय कर दिए थे। यह बात अलग है कि प्लान इनता फूलप्रूफ था कि किसी को कानों-कान खबर नहीं हो पाई। छापा मारने से पहले ही खुफिया पुलिस के दो सदस्य एआरटीओ कार्यालय के इर्द-गिर्द देखे गए।
छापे का मुख्य उद्देश्य एआरटीओ दफ्तर में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकना है, लेकिन छापे के दौरान फाइलों में मिले विशेष प्रकार के कोड यह दर्शाते हैं कि जब तक कोड की डिकोडिग नहीं होगी तब तक किस-काम के लिए कितना धन दफ्तर में लिया जाता है। इसका खुलासा संभव नहीं है। अहम बात यह है कि छापा मारने गए अधिकारी अधिकांश ऐसी फाइलें ले आए हैं, जिनमें कोड के रूप में कुछ न कुछ लिखा है। देर शाम तक चले मंथन के बाद भी फिलहाल अफसर इनके खुलासे के नतीजे पर नहीं पहुंचे। प्रशासन ने यहां दलालों को पकड़ने के साथ अब उन कर्मचारियों और अफसरों पर निगाह टिका दी है, जिनके बूते यहां पर भ्रष्टाचार फल फूल रहा था। चूंकि अधिकारी पर सीधे तौर पर प्रशासन कार्रवाई नहीं कर सकता है, इस लिए मजबूत तथ्यों के साथ प्रकरण को शासन के संज्ञान में देने की तैयारी हो रही है। हालांकि मामले पर डीएम संजीव सिंह का कहना है कि दलालों पर कार्रवाई की जा चुकी है, अन्य बिदुओं पर अभी उनकी जांच चल रही है।