प्रधान-कोटेदार कहे मोरा, गुरुजी हिसाब लगाएंगे कहां गओ बोरा
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : परिषदीय स्कूलों में एमडीएम के लिए आने वाले गेहूं व चावल के बोरों
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : परिषदीय स्कूलों में एमडीएम के लिए आने वाले गेहूं व चावल के बोरों पर अभी तक प्रधान, कोटेदार और रसोइया अपना हक जताते दिखते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। विद्यालयों में तैनात प्रधानाध्यापकों को गेहूं-चावल के खाली बोरों के हिसाब की सूचना बीएसए दफ्तर में देनी होगी। तभी वह इन बोरों की बिक्री कर पाएंगे। इसके लिए शासन से मिले निर्देशों के आधार पर पंजिका भी बनाई जाएगी।
प्राथमिक स्तर पर प्रति दिन 100 ग्राम प्रति छात्र व उच्च प्राथमिक स्तर पर प्रति छात्र 150 ग्राम खाद्यान्न विद्यालयों को दिया जाता है। यह खाद्यान्न भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से मार्के¨टग विभाग की गोदामों से प्रधानाध्यापकों को उपलब्ध कराया जाता है। 50 किलो के बोरे में गेहूं व चावल दिया जाता है। अभी तक इन बोरों की बिक्री से प्राप्त धनराशि का कोई हिसाब-किताब नहीं रहता। इस समय लगभग 18 रुपये के हिसाब से खाली बोरे का भाव है। मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के प्रभारी निदेशक मुमताज अहमद की ओर से भेजे गए निर्देश में कहा, खाली बोरों की बिक्री से प्राप्त धनराशि से तेल-मसाले खाद्यान्न के रखरखाव को कंटेनर आदि की खरीद की जा सकती है। किचन गार्डन विकसित करने, मेन्यू की वाल पें¨टग, बच्चों को अतिरिक्त पोषक तत्व उपलब्ध कराने में भी यह धन खर्च किया जा सकेगा।
मिड-डे मील के प्रभारी खंड शिक्षा अधिकारी बेगीश गोयल ने बताया कि प्राधिकरण के निर्देश प्राप्त हो गए हैं। सभी बीईओ को आवश्यक कार्रवाई के लिए पत्र जारी किया जा रहा है।