योजना का हाल : आंकड़ों में मृदा परीक्षण, कार्ड बने शो-पीस
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : एक डॉक्टर की तरह किसान मिट्टी की नब्ज को जान सके इसके लिए
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : एक डॉक्टर की तरह किसान मिट्टी की नब्ज को जान सके इसके लिए हर किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड देने की योजना आंकड़ों में सिमटती जा रही है। चालू वित्तीय वर्ष में 2.28 लाख किसानों को कार्ड जारी करने का दावा विभाग ने किया है, लेकिन सच यह है कि हजारों की संख्या में कार्ड विभाग व कर्मचारियों के घरों में डंप हैं। जिन्हें मिला भी वह कार्ड की तकनीकी भाषा को नहीं समझ पा रहे हैं। यही कारण है कि किसान मिट्टी की जरूरत को पूरा नहीं कर पाते हैं।
मिट्टी की जांच के लिए खागा, ¨बदकी के मलवां कृषि केंद्र व जिला मुख्यालय में लैब स्थापित है। सूक्ष्म तत्वों के परीक्षण के लिए जिला मुख्यालय में अत्याधुनिक लैब होने के बाद भी किसानों को भूमि के तत्वों को पूरा करने की जानकारी नहीं हासिल हो पाती है। आंकड़ों की बात करें तो इस साल 78880 नमूने भरने के लक्ष्य में 80 हजार नमूने भरे गए और लगभग 77 हजार नमूनों का विशलेषण किया गया। ग्रिड के आधार पर भरे जाने वाले एक नमूने में चार ढाई हेक्टेअर भूमि के पोषक तत्वों की जांच की जाती है। जिसमे चार से दस किसानों की जमीन आ जाती है। क्या है मृदा परीक्षण
मृदा परीक्षण मिट्टी की एक रसायनिक जांच है, जिसमें भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों की जानकारी मिलती है। पौधों को अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए 16 पोषक तत्वों की जरूरत होती है। जिसमें मुख्य तत्व कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्सिशयम, मैग्नीशियम व सूक्ष्म तत्व में जस्ता, मैग्नीज, लौह, बोरोन, मोलिब डेनम, क्लोरीन आदि होते हैं। मिट्टी का नमूना लेकर प्रयोगशाला में परीक्षण कर किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाता है।
गोष्ठियों में दी जाती जानकारी
डीडी उपकृषि निदेशक अनिल पाठक ने कहा कि जिले में 4.21 लाख किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने के लक्ष्य में 2.28 लाख कार्ड जारी किए जा चुके है। कार्ड डंप होने की शिकायत मिलेगी तो जांच कराकर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी। कहा कि गोष्ठियों के माध्यम से किसानों को मृदा कार्ड की जानकारी देकर तत्वों की कमी पूरा करने की सलाह दी जाती है। क्या बोले किसान
कार्ड की तकनीकी भाषा को किसान नहीं समझ पाते, ऐसे में इन कार्डों का वितरण कृषि वैज्ञानिकों की देखरेख में होना चाहिए, जिससे मिट्टी की जरूरत को समझ सके। -लोकनाथ पांडेय - प्रगतिशील किसान मौहारी
न तो मिट्टी का नमूना ले जाने की जानकारी हुई और न अभी तक मृदा स्वास्थ्य कार्ड मिला है। गोष्ठियों में जाने के बाद भी उन्हें मृदा परीक्षण की कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। - जितेंद्र त्रिपाठी- रगघूपुर मृदा परीक्षण कार्ड तो किसी के माध्यम से पहुंचा दिया गया है लेकिन उसकों देखने से कुछ पता ही नहीं चल रहा कि भूमि में किस तत्व की कमी है, और उसे पूरा कैसे किया जाए। - ओमप्रकाश यादव, मनीपुर सेमरइया गोष्ठियों में यह बताया तो जाता है कि मृदा परीक्षण कराकर ही उर्वरक का प्रयोग करें लेकिन कोई सुविधा नहीं दी जाती। कई बार नमूना लेकर खागा लैब गए जहां लगा लगा मिलता है। -ऋषि पांडेय, नई बाजार खागा