ठेकेदारी में बिगड़ी शौचालयों की तस्वीर, अभियान पर उठे सवाल
संवाद सहयोगी, खागा : स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव, कस्बों में तैयार हो रहे शौचालयों में ठे
संवाद सहयोगी, खागा : स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव, कस्बों में तैयार हो रहे शौचालयों में ठेकेदारी का ग्रहण लग गया। ओडीएफ के दबाव में गुणवत्ता को किनारे करके शौचालयों का निर्माण हो रहा है। खास बात यह है कि जिम्मेदार भी सब कुछ जानते हुए अनजान बने हैं।
तहसील क्षेत्र के चारों ब्लाक में शायद ही कोई ऐसी ग्राम सभा हो जहां बिना ठेकेदार के शौचालय निर्माण हो पा रहा हो। ठेकेदारी में बने शौचालयों की गुणवत्ता बेहद घटिया है। धाता ब्लाक के कारीकान ग्राम सभा में वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर अब तक में 300 शौचालयों का निर्माण हो चुका है। इनमे कई बेहद खस्ताहाल दशा में पहुंच चुके हैं। छत, दीवार तथा सीट गुणवत्ता की पोल खोल रहे हैं। जनपद को ओडीएफ घोषित करने के लक्ष्य में नवंबर महीने के अंत तक सभी जगहों पर शौचालय निर्माण पूर्ण होना है। अन्य कई ग्राम सभाएं भी हैं जहां पर शौचालय निर्माण में ठेकेदारी का सहारा लिया गया है। ग्राम प्रधान, सेक्रेटरी तथा ठेकेदार ने मिलकर शौचालयों की सूरत बदल दी है।
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तीन हजार में ठेकेदारी
एक अदद शौचालय निर्माण के लिए लाभार्थी को दो किश्तों में 12 हजार रुपए की आर्थिक मदद मिलती है। ग्राम प्रधान तथा सेक्रेटरी के संयुक्त खाते से तैयार होने वाली चेक में लाभार्थी को बुलाकर पैसे निकालने के बाद सीधे ठेकेदार को दिए जाते हैं। ठेकेदार अपने हिसाब से शौचालय का निर्माण कराता है। जिसमे गुणवत्ता की बात करने पर काम रोक देने की धमकी दी जाती है।
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जिलाधिकारी की मी¨टग में हैं। शौचालय निर्माण में यदि किसी प्रकार की लापरवाही की जा रही है तो उसकी जांच कराई जाएगी।
- अनिल श्रीवास्तव, बीडीओ-धाता