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फतेहपुर में नया बीज आया, 50 फीसद तक मिलेगा अनुदान

जागरण संवाददाता फतेहपुर रबी फसल में किसानों की आय दूना करने के लिए लागत कम करके

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 12:11 AM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 12:11 AM (IST)
फतेहपुर में नया बीज आया, 50 फीसद तक मिलेगा अनुदान
फतेहपुर में नया बीज आया, 50 फीसद तक मिलेगा अनुदान

जागरण संवाददाता, फतेहपुर : रबी फसल में किसानों की आय दूना करने के लिए लागत कम करके उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। गेहूं, चना, सरसो व जौ का नया बीज प्रयोग करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। कृषि विभाग ने बीज की नकली पैकेजिग कर किसानों को धोखा देने वाले दुकानदारों से सावधान रहने के लिए कहा है। विभाग ने अभियान चलाकर निजी बीज भंडारों में छापा मार कर संदिग्ध बीज के 54 नमूने जांच के लिए भेजा है।

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रबी फसल में उन्नतिशील बीज के अधिकाधिक प्रयोग ने लिए शासन ने बीज का आंवटन करके आपूर्ति

देना शुरू कर दिया है। शासन ने बीज में पचास फीसद तक अनुदान तय किया है। जिले में रबी फसल में दो लाख हेक्टेअर क्षेत्रफल में आच्छादन किए जाने का लक्ष्य तय किया गया है, जिसमें सर्वाधिक सवा लाख हेक्टेअर क्षेत्रफल में गेहूं की बुआई की जानी है। इसके बाद चना व सरसो की बुआई होना है। रबी फसल की कार्ययोजना पर विभाग ने कार्रवाई शुरू करते हुए बीज भंडारों से किसानों को अनुदानित बीज का वितरण शुरू कर दिया है।

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बीज व मिलने वाला अनुदान

- गेहूं के आधारीय व प्रमाणित बीज में एचडी-3086, एचडी-2967, के-1006 की प्रजाति में अधिकतम 50 फीसद व 2000 रुपये प्रति क्विटल अनुदान मिलेगा।

- चना के जीएनजी - 2144, जीएनजी- 1958, मसूर की प्रजाति पीएस-8, मटर की आइपीएफ-4-12, मटर पंत -10 की दस वर्ष से कम वाली प्रजातियों में 5000 रुपये प्रति क्विटल व अधिकतम पचास फीसद अनुदान मिलेगा।

- राई व सरसो की गिरीराज, उर्वशी व तिलहनी फसलों में 15 वर्ष की अधिवर्षता वाली प्रजातियों में 6500 रुपये प्रति क्विटल अनुदान देय होगा। संकर राई-सरसो की समस्त प्रजातियों के बीज में अधिकतम 13000 रुपये प्रति क्विटल अनुदान दिया जाएगा।

- जौ के बीयूएस-113 प्रजाति के बीज पर कोई अनुदान अनुमन्य नहीं है।

' अनुदानित बीज का वितरण राजकीय बीज भंडार से किया जा रहा है। पहले आओ, पहले पाओ के मानक पर बीज किसानों को पूरे दाम पर दिया जाएगा। अनुदान की राशि किसानों के खाते में भेजी जाएगी। ' बृजेश सिंह, उपकृषि निदेशक


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