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Fatehpur News : मतदान बाधित करने के मामले में MPMLA कोर्ट ने पूर्व विधायक विक्रम सिंह को सुनाई दो साल की सजा

फतेहपुर में सिविल जज सीनियर डिवीजन एफटीसी एवं एमपी-एमएलए कोर्ट ने मतदान बाधित करने व चुनाव कर्मचारियों के साथ हाथापाई करने के नौ साल पुराने में मामले में आरोपित भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सिंह को दो वर्ष की सजा सुनाई है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek AgnihotriPublished: Mon, 14 Nov 2022 07:28 PM (IST)Updated: Mon, 14 Nov 2022 07:28 PM (IST)
Fatehpur News : मतदान बाधित करने के मामले में MPMLA कोर्ट ने पूर्व विधायक विक्रम सिंह को सुनाई दो साल की सजा
फतेहपुर में एमपीएमएलए कोर्ट ने पूर्व विधायक को सुनाई सजा।

फतेहपुर, जागरण संवाददाता। सिविल जज सीनियर डिवीजन एफटीसी एवं एमपी-एमएलए कोर्ट ने सोमवार को मतदान बाधित करने व चुनाव कर्मचारियों के साथ हाथापाई करने के नौ साल पुराने में मामले में आरोपित भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सिंह को दो वर्ष की सजा सुनाई है। पूर्व विधायक पर एक हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया, हालांकि सजा तीन वर्ष के कम होने के कारण पूर्व विधायक को सशर्त जमानत मिल गई।

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बहस और फैसले के दौरान पूर्व विधायक कोर्ट में मौजूद रहे, उनके चेहरे के हाव-भाव बदलते रहे। जमानत मिलने पर उनके चेहरे पर मुस्कान तैर गई। कोर्ट के बाहर मौजूद समर्थकों ने जिंदाबाद के नारे भी लगा जमानत मिलने की खुशी मनाई।

शहर की लोक विहार कालोनी हबीबपुर में आवासित पूर्व विधायक विक्रम सिंह मूलरूप से बर्रा कानपुर नगर में रहते हैं। वर्ष 2014 के विधानसभा उपचुनाव में उन्हें भाजपा ने सदर सीट से टिकट दिया था। 30 अप्रैल 2014 को जब मतदान चल रहा था तो बतौर प्रत्याशी उन्हें समर्थकों से सूचना मिली थी कि बड़ागांव बूथ पर फर्जी वोटिंग हो रही है। वह समर्थकों के साथ बूथ पर पहुंच गये थे। यहां हंगामा हुआ और मतदान भी बाधित रहा।

बूथ ड्यूटी में तैनात सिपाही आदेश कुमार ने प्रत्याशी पर मतदान बाधित करने, सरकारी काम में बाधा डालने, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, सेवन (सीएलए) क्रिमिनल एक्ट के तहत मुकदमा कायम कराया था। करीब नौ साल से चल रही सुनवाई के बाद सोमवार को एमपी-एमएलए कोर्ट के जज महेंद्र पासवान ने बहस सुनी और शाम चार बजे सजा सुना दी। सहायक अभियोजन अधिकारी सुरेंद्र कनौजिया और कामेश्वर प्रसाद ने दलीलें रखी। बचाव पक्ष की तरफ से अधिवक्ता हंसराज सिंह ने तर्क रखे।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि कोर्ट का फैसले पर वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे लेकिन जिस मुकदमें में सिर्फ वादी की ही गवाही आरोपित के खिलाफ थी, कोई भी साक्ष्य मौजूद नहीं था वहां सजा सुनाया जाना समझ से परे है। अपील के लिए 30 दिन के लिये समय है, वह जिला जज की कोर्ट में अपील दाखिल करेंगे।


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