रथयात्रा में जोश के साथ जुटे थे कारसेवक
जागरण संवाददाता फतेहपुर राम मंदिर के लिए कारसेवकों में गजब का उल्लास व समर्पण की भावन
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: राम मंदिर के लिए कारसेवकों में गजब का उल्लास व समर्पण की भावना थी। बात वर्ष 1989 की है, जब रथयात्रा में राम जन्मभूमि न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष रामचंद्रदास परमहंस यहां आए तो हर एक में शक्ति का संचार हो गया। उनसे भेंट करने के लिए कारसेवकों का दल पहुंचा। बड़े हिदू नेताओं के साथ सामान्य कारसेवकों ने भी उनसे मिलकर आशीर्वाद लिया और राम मंदिर आंदोलन में प्राण प्रण से जुटने की शपथ ली। व्यापारी नेता सत्यभगवान जो उस समय किशोरावस्था में ही थे, उन्होंने परमहंस से मिलकर आशीर्वाद लिया।
कारसेवकों की जुबानी
राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। उस समय अजमतपुर के आरएसएस के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्रीधर शुक्ल वैद्य के साथ मंदिर आंदोलन की अलख जगाई। इस दौरान गिरफ्तारी भी हुई। वर्ष 1992 में कारसेवा में अयोध्या जाने का अवसर मिला।
- दिनेश वाजपेई, पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा
मंदिर आंदोलन को लेकर हुए विभिन्न कार्यक्रमों का हिस्सा बना। वर्ष 1989 में राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे परमहंस रामचंद्रदास से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज राम मंदिर बनने जा रहा है तो ऐसा लगता है जैसे कोई सपना पूरा होने जा रहा है।
- सत्यभगवान, कारसेवक वर्ष 1984 में राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ गया था। 86 में बजरंग दल के जिला सह संयोजक बने। 1989 का आंदोलन रहा हो या फिर 92 में जब ढांचा गिरा, दोनों ही आंदोलन का हिस्सा बना। जेल भी गए। आज मंदिर निर्माण का सपना साकार हो रहा है।
- विनोद कुमार गुप्त, कारसेवक मंदिर आंदोलन से जुड़कर बहुत यातनाएं सही। 1989 में कारसेवकों पर गोलियां बरसाईं, उसका भी साक्षी रहा। 6 दिसंबर 1992 का वह दिन आया, जिससे मन को कुछ शांति मिली, हालांकि इसके बाद जिला प्रशासन ने रासुका की माला भी पहनाई। अब वह शुभ घड़ी आने से मन व आत्मा दोनों ही प्रसन्न हो रहे हैं।
- मनोज कुमार त्रिवेदी, प्रांतीय महामंत्री अखिल भारत हिदू महासभा