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सनातन धर्म भाया तो अब्दुल जमील बन गए श्रवण कुमार

फोटो)दीक्षा लेकर सनातन धर्म स्वीकार करेंगे अब्दुल जमील

By JagranEdited By: Updated: Thu, 21 Jul 2022 04:01 AM (IST)
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सनातन धर्म भाया तो अब्दुल जमील बन गए श्रवण कुमार

सनातन धर्म भाया तो अब्दुल जमील बन गए श्रवण कुमार

-पटेल नगर स्थित हनुमान मंदिर में गुरुवार को होगा बुद्धि-शुद्धि कार्यक्रम

-सनातन धर्म की वसुधैव कुटुंबकम की भावना से प्रभावित होकर लिया निर्णय

जासं, फतेहपुर : 35 वर्षों तक रेलवे में सेवा के बाद मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक के पद से सेवानिवृत्त होने वाले 66 वर्षीय अब्दुल जमील को सनातन धर्म ऐसे भाया कि अब वह श्रवण कुमार बन गए हैं। गुरुवार को संकटमोचन हनुमान मंदिर पटेल नगर में आचार्यों की उपस्थिति में वह विधि विधान से सनातन धर्म की दीक्षा लेंगे। अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रांतीय महामंत्री मनोज त्रिवेदी की प्रेरणा से उन्होंने अपना नामकरण किया है।

मूलरूप से हाथरस जिले के सादाबाद तहसील के निवासी जमील वर्तमान में नगर के देवीगंज मोहल्ले में घर बनाकर रहते हैं। उन्होंने बताया कि बचपन से ही सनातन धर्म के प्रति निष्ठा थी, लेकिन करीब दो वर्ष पहले इसे स्वीकार करने की इच्छा जगी। पिछले दिनों अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रांतीय महामंत्री से नजदीकियां बढ़ीं तो उनसे अपने मन की बात साझा की। इसपर उन्होंने सनातन धर्म में वापसी का स्वागत किया।

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दबाव नहीं, प्रभाव में लिया निर्णय, पूर्वज थे राजपूत

अब्दुल जमील (अब श्रवण कुमार) का कहना है कि सनातन धर्म में वापसी के लिए किसी ने उनपर दबाव नहीं बनाया। उनके पूर्वज राजपूत थे। उनके परबाबा का नाम पुत्तू सिंह था। पिता का नाम अब्दुल हमीद बेग है। दो पीढ़ी पहले हमारा खानदान राजपूतों से ताल्लुक रखता था। हमने कोई धर्म परिवर्तन नहीं किया, हां सनातन धर्म में वापसी कर रहे हैं तो अपने घर वापस आने की खुशी हो रही। सनातन धर्म में पूरी आस्था थी, जो अब और बढ़ी है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम को अपना आदर्श बताते हुए कहा कि राम तो समूचे भारत के पूर्वज हैं, हमें इसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए।

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साले ने की मारपीट पर नहीं बदला इरादा

करीब दो माह पहले सनातन धर्म में वापसी की बात जानकर साले बाबर ने अब्दुल जमील को समझाया। उनके अडिग रहकर अपना पक्ष रखने पर उसने मारपीट भी की, लेकिन इसके बाद भी इरादा नहीं बदला। कहा कि मेरी आस्था सनातन से जुड़ चुकी है, अब कोई भी उसे नहीं डिगा सकता। स्वजन घर वापसी नहीं चाह रहे।

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एक इंजीनियर तो दूसरी बेटी है डाक्टर

अब्दुल जमील की बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है। दूसरी बेटी इंजीनियर है। तीसरे नंबर की बेटी एमबीबीएस डाक्टर है। पत्नी आरजूमंद बानो बेटियों के साथ लखनऊ में रहतीं हैं। बेटा मोहम्मद शमील दिल्ली में पायलट आफीसर का कोर्स कर रहा है।

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जो भी सनातन धर्म में स्वेच्छा से वापस आ रहे हैं, उनका स्वागत है। निश्चित ही सनातन धर्म किसी को जबरन अपने में शामिल करने की मंशा नहीं रखता। जो फिर से वापस आना चाहते या सनातन धर्म को स्वीकार करना चाहते हैं, वह बिना किसी हिचक के आ सकते हैं।

-वीरेंद्र पांडेय, प्रांत मंत्री, विश्व हिंदू परिषद।

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सनातन धर्म वसुधैव कुटुंबकम की भावना को मानता आया है। शांति व भाईचारा चाहने वाले हर व्यक्ति में सनातन संस्कृति के प्रति लगाव है। अब्दुल जमील का स्वागत है।

-विजय शंकर मिश्र, जिलाध्यक्ष, विश्व हिंदू परिषद।

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