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उम्मीद पूरी तो सुस्त कार्य ने किया उदास

संवाद सहयोगी खागा सियासत का खेल भी अजब होता है। जनता की समस्याओं के प्रति कम खुद के फायदे

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Mar 2019 11:34 PM (IST)Updated: Sat, 16 Mar 2019 11:34 PM (IST)
उम्मीद पूरी तो सुस्त कार्य ने किया उदास
उम्मीद पूरी तो सुस्त कार्य ने किया उदास

संवाद सहयोगी, खागा : सियासत का खेल भी अजब होता है। जनता की समस्याओं के प्रति कम खुद के फायदें अधिक देखे जाते हैं। यमुना कटरी के पचास से अधिक गांवों के लिए बनी बड़ी समस्या का हल निकला तो निर्माण की धीमी प्रगति ने उम्मीदों की राह पर ब्रेक लगा दी। यमुना के किशुनपुर व दांदो घाट के मध्य नदी पर पक्का पुल बनाने की मांग तीस साल से कर रहे ग्रामीणों को सपा शासन काल में सौगात मिली तो बजट के अभाव में निर्माण लटक गया।

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पक्का पुल निर्माण न होने से बांदा, चित्रकूट, महोबा आदि जनपदों तक आवागमन करने वाले लोगों को नाव पर जोखिम के साथ सफर करना होता है। हर बार लोकसभा, विधानसभा चुनाव में पक्का पुल चुनावी मुद्दा बनता आ रहा है। पुल निर्माण न होने से दोनों जनपदों के किसान, नौकरी पेशा लोग तथा स्कूली छात्र-छात्राएं परेशानी उठाते हैं। वर्ष 1980 से दोनों घाटों के मध्य पीपा पुल का निर्माण होता आ रहा है। प्रति वर्ष नवंबर से लेकर जून महीने तक यमुना नदी पर पीपा पुल बनाकर लोगों को आवागमन की सुविधा दिलाई जाती है। इस वर्ष पीपा पुल भी महीनों की देरी के बाद भी बनकर नहीं तैयार हो सका। छह महीने के लिए यमुना नदी पर बनने वाले पीपा पुल का निर्माण न होने से व्यापारिक मंडी, गल्ला मंडी की रौनक फीकी पड़ी हुई है। सपा शासन काल में 68 करोड़ की लागत से बनने वाले पुल की मंजूरी मिली और काम भी शुरू हो गया, लेकिन सरकार बदलने के बाद बजट मिलने में हुई देरी से काम लटक गया। तीन साल में पूरा होने का अनुबंध होने के बाद भी पुल निर्माण का काम अभी तक अधर में लटका है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि सियासी दांव-पेंच के चलते काम में देरी हो रही है।

अधूरे निर्माण से बढ़ी मुश्किलें

- बांदा जनपद के किसानों को किशुनपुर कस्बा स्थित गल्ला मंडी की बजाए बबेरु जाना पड़ता है।

- मंडी तक आने का मार्ग सुगम न होने से बांदा के किसानों को बिचौलियों के हाथों उपज बेंचना पड़ता।

- किशुनपुर कस्बा स्थित स्कूल, कालेज तक आने वाले बांदा के छात्र-छात्राओं को नदी पार करने की समस्या।

- नौकरी पेशा लोगों को नदी पार करने में असुविधा के साथ जोखिम।

- बांदा जनपद के पंद्रह गांवों के लिए कमासिन से नजदीक खागा शहर एक-एक करके पीपा पुलों ने छोड़ दिया साथ

- अस्सी के दशक में किशुनपुर-दांदो, महेवा-राजापुर तथा देवलान-औगासी घाट के मध्य यमुना नदी पर पीपा पुल बनते थे। किशुनपुर-दांदो घाट को छोड़कर अन्य दोनों स्थानों पर पक्का पुल निर्माण पूर्ण हो चुका। किशुनपुर-दांदो घाट के मध्य पीपा पुल की बजाय पक्के पुल की उम्मीद में इलाके के लोग 39 वर्षो से इंतजार कर रहे हैं।


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