देव शिल्पी को याद कर किया हवन पूजन
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर कई स्थानों पर देवशिल्पी का पूजन कि
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर कई स्थानों पर देवशिल्पी का पूजन किया गया। स्कूल-कालेजों के अलावा विश्वकर्मा मंदिर, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों समेत औद्योगिक आस्थानों में देवशिल्पी की आराधना हुआ। हवन-पूजन के साथ विभिन्न संस्थानों पर बैठक, गोष्ठियों का भी आयोजन हुआ। वक्ताओं ने भगवान विश्वकर्मा के किए कार्यों का बखान किया।
शहर के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में प्रधानाचार्य प्रदीप अग्निहोत्री की उपस्थिति में ट्रेड इलेक्ट्रीशियन के अनुदेशक त्रिभुवन ¨सह, अभिनेष ¨सह ने विश्वकर्मा जी महाआरती उतारी। प्रधानाचार्य एवं कार्यदेशक केपी वर्मा, एसके सैनी ने समस्त प्रशिक्षणार्थियों को विश्वकर्मा जयंती के महत्व को बताया। इस मौके पर टीएसवीपी जिला संयोजक अंकित जायसवाल, नवीन कुमार अतुल, जयदीप, रोहित, शुभम, अजय, महेश ¨सह, नीतीश श्रीवास्तव, एसके सक्सेना, अशोक कुमार आदि रहे। नगर पालिका जलकल विभाग में भी जयंती समारोह मनाया गया। रमेशचंद्र, विजय कुमार, अमित कुमार जायसवाल, रामगोपाल पांडेय, राजू, विजय मौर्य आदि रहे। औद्योगिक क्षेत्र मलवां में सिगमा ग्रुप आफ कंपनी के तत्वावधान में कार्यक्रम हुआ। सिगमा का¨स्टग, कुंदन का¨स्टग, राधे-राधे इस्पात, सदाहारी शक्ति में पूजा सुबह दस बजे से शुरू हुई। जिसमें क्षेत्र के सभी बच्चों को भोजन कराया गया। चेयरमैन नरेश कुमार जैन, एमडी नवीन जैन, डायरेक्टर विजय जाखोदिया, अभिषेक जादोदिया, नवनीत जैन, जीएम जेके झा समेत मैनेजर, कर्मचारी कमलेश ¨सह, टीएस पांडेय, डीपी मिश्र, सुनील तिवारी, रमेश ¨सह, नहर ¨सह एवं कानपुर हेड आफिस के सभी कर्मचारी मौजूद रहे। दक्षिणी गौतम नगर स्थित विश्वकर्मा मंदिर में सुबह दस बजे से ही पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने देवशिल्पी की आराधना की।
विज्ञान व धर्म की एकता पर जोर
- महात्मा गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विश्वकर्मा जयंती पर हुई संगोष्ठी में अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डा. रामप्रवेश ¨सह ने भगवान विश्वकर्मा के बहाने विज्ञान और धर्म की एकता पर बल दिया। तथा भगवान विश्वकर्मा को राम और कृष्ण की तरह अवतार पुरष बताया। भगवान विश्वकर्मा जीवन और कृतित्व पर विचार गोष्ठी हुई। जिसमें ¨हदी विभागाध्यक्ष प्रो. अनूप शुक्ल, डा. अपूर्व सेन, डा. सारिका दुबे, डा. आशुतोष श्रीवास्तव आदि ने भी विचार रखे। इसके अलावा परिषदीय प्राथमिक व जूनियर स्कूलों समेत अन्य स्कूल-कालेजों में भी गोष्ठियां हुईं।