आंखों की रोशनी बचाने में नेत्र अस्पताल नाकाम
आंख शरीर का बेहद महत्वपूर्ण अंग है सरकार इनकी सुरक्षा को लेकर बड़े पैमाने पर धन खर्च करती है। जिले में आंखों की सुरक्षा को लेकर घोर लापरवाही बरती जा रही है। मदनमोहन मालवीय नेत्र चिकित्सालय में अगर ओपीडी की बात छोड़ दी जाए तो यह अस्पताल आंखों की रोशनी बचाने में नाकाम है। कारण यहां 13534 के सापेक्ष मौजूदा वर्ष में मात्र 143 आपरेशन ही किए हैं।
जागरण संवाददाता, फतेहपुर: जिले में आंखों के इलाज को लेकर घोर लापरवाही बरती जा रही है। मदनमोहन मालवीय नेत्र चिकित्सालय में अगर ओपीडी की बात छोड़ दी जाए तो यह अस्पताल आंखों की रोशनी बचाने में नाकाम है। यहां 13534 के सापेक्ष मौजूदा वर्ष में मात्र 143 आपरेशन ही किए हैं।
जिला आंधता निवारण समिति की रिपोर्ट पर गौर करें तो जिले भर में 13534 ऐसे रोगियों की पहचान की गयी, जिन्हें मोतियाबिद की शिकायत थी। चिह्नित रोगियों में अधिकांश रोगी गरीब है। नतीजा इनका आपरेशन जिला नेत्र चिकित्सालय में किया जाना था, लेकिन वित्तीय वर्ष नौ माह बीत गए आपरेशन मात्र 143 ही हुए। गनीमत है कि सतगुर नेत्र चिकित्सालय चित्रकूट और अनेक निजी अस्पतालों व स्वयं सेवी संस्थाओं ने मिलकर 4986 आपरेशन करा दिए अन्यथा यह काम भी नेत्र चिकित्सालय के बस की बात नहीं थी। बावजूद इसके अब भी साढ़े आठ हजार मोतियाबिद रोगी आपरेशन के लिए इधर उधर भटक रहे हैं।
आंकड़ों में नेत्र आपरेशन
जिले में चिह्नित मोतियाबिद रोगी- 13534
नेत्र अस्पताल में आपरेशन- 143
प्राइवेट अस्पतालों में आपरेशन- 4093
स्वयं सेवी संस्थाओं ने कराए- 893 प्रतिदिन 60 आपरेशन का लक्ष्य
-जिले में तीन नेत्र सर्जन है। इसमें डॉ. आदर्श कुमार जिला अस्पताल, डॉ. विशेष त्रिपाठी नेत्र अस्पताल और डॉ. पूर्वापाल खागा सीएचसी में अटैल है। तय लक्ष्य के अनुसार नेत्र सर्जन ओपीडी कहीं भी करे, लेकिन उसे जिला नेत्र चिकित्सालय में एक दिन में कम से कम 20 आपरेशन करने का लक्ष्य है। लक्ष्य तो दूर यहां के डॉक्टर मिलकर भी औसत में प्रतिदिन एक आपरेशन नहीं करते है। नोटिस देकर मांगा गया जवाब : सीएमओ
-सीएमओ डॉ. उमाकांत पांडेय ने कहा कि जिला आंधता निवारण समिति नेत्र चिकित्सा के काम काज की मानीटरिग करती है। समिति ने आख्या दी है कि जिले में तैनात प्रतिदिन तय लक्ष्य 20 के अनुपात में आपरेशन नहीं कर रहे हैं। इसके लिए डा. आदर्श कुमार, डॉ. विशेष त्रिपाठी और डॉ. पूर्वा पाल से स्पष्टीकरण तलब किया गया है। निश्चित तौर पर मौजूदा वर्ष में अब तक 143 ही आपरेशन होना काम पर सवाल उठाता है।