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अमेरिका को समझाया सांची के बौद्ध स्तूप का मर्म

संवाद सहयोगी बिदकी (फतेहपुर) भारतवंशियों ने विदेशों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है

By JagranEdited By: Published: Fri, 08 Jan 2021 11:25 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jan 2021 11:25 PM (IST)
अमेरिका को समझाया सांची के बौद्ध स्तूप का मर्म
अमेरिका को समझाया सांची के बौद्ध स्तूप का मर्म

संवाद सहयोगी, बिदकी (फतेहपुर): भारतवंशियों ने विदेशों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। इनमें से एक हैं बिदकी के रहने वाले कुंजबिहारी अग्रवाल। फोटोग्राफी में महारथ हासिल होने के कारण गौतम बुद्ध के सांची स्थित स्तूप की कलाकृतियों का फोटो चित्रण कर अमेरिका को आध्यात्मिक ज्ञान दिया। अमेरिका की मार्क पब्लिकेशन ने बौद्ध के स्तूप पर उनकी एक पुस्तक भी प्रकाशित की है।

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बिदकी नगर के मेन बाजार में व्यापारी परिवार में जन्मे कुंज बिहारी अग्रवाल ने बीएनडी कॉलेज कानपुर से एमए की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद गल्ला व्यापार से जुड़ गए। बिदकी में रह रहे उनके चौथे नंबर के पुत्र आइआरएस दिलीप अग्रवाल बताते हैं कि गल्ला व्यापार दुर्ग मध्य प्रदेश (अब छत्तीसगढ़) से होता था। व्यापार के सिलसिले में पिताजी का वहां आना-जाना था। इस दौरान मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रवि शंकर शुक्ल से मुलाकात हुई। मुख्यमंत्री से फोटोग्राफी के हुनर का जिक्र हुआ तो उन्होंने मध्य प्रदेश पंचायतराज पर एक फिल्म बनवाई। इसके बाद गल्ला व्यापार कमजोर पड़ गया, तो फोटोग्राफी और फिल्म बनाने के काम को ही कॅरियर बना लिया। इसके बाद दूरदर्शन और भारत सरकार के लिए सामाजिक सरोकार से जुड़ी कई फिल्में बनाईं। वर्ष 1973 में बड़े भाई अशोक अग्रवाल ने इलाहाबाद से टेली कम्युनिकेशन से इंजीनियरिग की पढ़ाई पूरी कर नौकरी के लिए अमेरिका चले गए। तीन वर्ष बाद पिता जी (कुंज बिहारी अग्रवाल) अमेरिका गए। उन्होंने वहां सांची में बौद्ध स्तूप व चारों गेटों का चित्रण कर उनकी व्याख्या की। अमेरिका के जो टूरिस्ट भारत आए, उनको यहां बुद्ध को समझने में आसानी हो गई। जो नहीं आए उन्होंने वहीं फोटोग्राफ के माध्यम से बुद्ध की शिक्षा को समझा। अमेरिका की मार्क पब्लिकेशन ने अनसीन प्रजेंस नाम से पुस्तक प्रकाशित की। इसमें स्तूप व गेट पर उभरी कलाकृतियां का भाव समझाया गया है। अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों ने उनके फोटोग्राफ खरीदे। दिलीप अग्रवाल कहते हैं उनके अन्य तीन भाई अनिल, कमल व अरुण अमेरिका में रह रहे हैं। तीनों भाई इंजीनियर हैं। भारत सरकार की आइआरएस सेवा में नौकरी के कारण वह देश में ही रहे। पिता जी ने चारों भाइयों की शादी यहीं आकर की। वर्ष 2013 में पिता का निधन हो गया।

पिता की स्मृति में चारों भाइयों के सहयोग से बिदकी नगर में कुंज बिहारी एजुकेशन ट्रस्ट के माध्यम से कक्षा 8 से 12वीं तक के बच्चों को निश्शुल्क कोचिग पढ़ाई जा रही है। बच्चों के लिए वाहन की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। एक पुस्तकालय भी खोला गया है।

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इन विषयों पर बनाईं फिल्में

-एजूकेशनल

-भारत दर्शन

-हिदुस्तान व यूरोप के वाइल्ड लाइफ पर


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