डॉक्टर बने 'मिस्टर इंडिया', पता नहीं कब हो जाएं गायब
केस-1 हसवा ब्लाक का छिछनी अस्पताल कटरा के लक्ष्मी नारायण, छिटनी के मुन्ना शुक्ला, जमलामऊ
केस-1
हसवा ब्लाक का छिछनी अस्पताल
कटरा के लक्ष्मी नारायण, छिटनी के मुन्ना शुक्ला, जमलामऊ के अचल यादव, बेरूई के शिवशंकर बीते सोमवार को अस्पताल पहुंचे। मगर, वहां डॉक्टर नहीं मिले। पता चला कि एक सप्ताह से डॉक्टर नहीं आए। मरीज थक-हार कर लौट जाते हैं। मजबूरी में झोलाझाप से दवा लेते हैं। केस-2
असोथर ब्लाक का सैबसी अस्पताल
कंसापुर के राम चरण गुप्ता बताते हैं कि सोमवार को तीन घंटे इंतजार के बाद भी डॉक्टर नहीं आए। मिश्रनडेरा के सोहन लाल, लक्ष्मणपुर के सेवक व सैबसी के झब्बू गौतम का दावा है कि बीते 15 दिनों में अलग-अलग दिनों में अस्पताल गए, लेकिन डॉक्टर नहीं मिले।
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जागरण संवाददाता, फतेहपुर : भले ही आपको आश्चर्य हो, लेकिन सच यही है। सीएचसी, पीएचसी और एडिशनल पीएचसी में तैनात डॉक्टर कागजों में तो हाजिर रहते हैं, पर महीने में कभी-कभार ही नजर आते हैं। दर्द लेकर भटकते मरीज कभी भी और किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में देखे जा सकते हैं। यहां सर्दी-जुकाम की दवा के साथ मरहम-पंट्टी तक की सुविधा मिल पा रही है। सामान्य प्रसव के मामले भी रेफर कर दिए जाते हैं। सेहत की ऐसी ही अव्यवस्थाओं से जिले की 26 लाख ग्रामीण आबादी जूझ रही है।
ग्रामीणों को इलाज के लिए भटकना न पड़े, इसके लिए 30 हजार आबादी पर सामुदायिक और 15 हजार आबादी में प्राथमिक तथा दस हजार आबादी में एडिशनल पीएचसी खोले गए हैं। शासन स्तर से एडिशनल में एक, पीएचसी में दो और सीएचसी में पांच डॉक्टरों की तैनाती का मानक है। अगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को छोड़ दिया जाए तो अन्य में डॉक्टरों की तैनाती का कोटा पूरा है। मगर, यह डॉक्टर नियमित रूप से नहीं आते जिससे ग्रामीणों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। कई अस्पतालों में पखवारे और माह में एक बार ही डॉक्टर साहब के दर्शन होते हैं। अन्य दिनों में फार्मासिस्ट और वार्ड ब्वाय यहां सर्दी-जुकाम के मरीजों को दवा देकर चलता कर देते हैं।
कानपुर व प्रयागराज में रहते डॉक्टर
खास बात तो यह है कि कानपुर व प्रयागराज से जुड़े ज्यादातर चिकित्सक अपनी तैनाती ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में कराएं हुए हैं। जो सप्ताह में एक-दो दिन ही ड्यूटी में आते हैं।
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ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज की व्यवस्था
21- एडिशनल पीएचसी,
14- पीएचसी
10- सीएचसी
25- आयुर्वेदिक अस्पताल
7000- ग्रामीण मरीजों को प्रतिदिन मिल सकता उपचार
155- डॉक्टरों के पद
97- डॉक्टर हैं तैनात
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क्या कहते हैं जिम्मेदार
समय-समय पर डिप्टी सीएमओ और स्वयं छापेमारी करते हैं। अब तक अनुपस्थिति मिलने पर 25 डाक्टरों से स्पष्टीकरण भी लिया गया है। धीरे-धीरे स्थिति में सुधार होगा। अपनी कार्यशैली में सुधार न लाने वाले डॉक्टरों के खिलाफ शासन को भी लिखा जाएगा।
-उमाकांत पांडेय, सीएमओ