बेसहारा मवेशियों से फसलें हो रही चौपट
जागरण टीम फतेहपुर सरकारी व्यवस्था होने के बाद भी बिचौलियों के कारण धान की फसल का उ
जागरण टीम, फतेहपुर: सरकारी व्यवस्था होने के बाद भी बिचौलियों के कारण धान की फसल का उचित मूल्य न लेने वाला किसान, अब रबी की फसल से व्यथित है। वर्तमान में गेहूं, चना, मटर, लाही व सरसों जैसी फसल खेतों में तैयार करने का सिलिसला प्रारंभ है, लेकिन इन फसलों का अंत उदय होने के साथ ही शुरू हो गया। फसलों के चौपट होने का मुख्य कारण खेतों में घूम रहे बेसहारा पशु हैं। पशुओं का झुंड एक बार जिस फसल से गुजर जाता है, वह फसल पूरी तरह से खत्म हो जा रही है।
बेसहारा पशुओं को आश्रय देने के लिए जिले में तीन स्थाई और 20 अस्थाई गोशालाएं है। आंकड़ों के अनुसार इनमें 3932 पशु आश्रय पा रहे हैं। वहीं छह माह पहले कराए गए सर्वे के आंकड़े गवाह हैं कि अब भी जिले में 19 हजार से ज्यादा गोवंश सड़क और खेतों में विचरण करता हैं। इन्हें भी आश्रय स्थलों में रखा जाए इसके लिए 30 नई गोशालाएं बनाई जानी है। नई गोशालाओं के अस्थाई निर्माण के लिए जगह चिन्हित हैं, लेकिन सुविधाएं न होने के कारण यह संचालित नहीं हो पा रही है। वहीं जिन 20 गोशालाओं को संचालित भी किया जा रहा है, उनके पशु क्षमता से आधे हैं। ऐसे में सड़क और खेत पर घूमने वाले पशुओं की संख्या ज्यादा है। अंधेर तो यह है कि जिन पशुओं को एक बार गोशाला में अंदर कर उनकी टैगिग की जा चुकी है वह भी अब गोशालाओं से बाहर निकल आए हैं। जिससे फसलों का भारी नुकसान हो रहा है।
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दो स्थाई गोशाला अधूरी, एक में 200 पशु
- जिले में तीन स्थाई गोशालाएं शासन से स्वीकृत हैं। प्रति गोशाला का निर्माण 1.20 करोड़ की लागत से हआ है। एक मात्र भेवली की स्थाई गोशाला पूर्ण है, जिसमें 200 पशु रखे गए हैं। जबकि स्थाई गोशाला के रूप में सुल्तानपुर घोष और बुढ़वा अब भी अधूरी है जिसके कारण यहां कोई पशु नहीं है।
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धरपकड़ तेज, हर गोशाला में पहुंच रहा गोवंश:सीवीओ
-पशु मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरके शर्मा का कहना है कि रबी सीजन को देखते हुए गोवंश की धरपकड़ तेज की गई है। बीते एक सप्ताह से हर गोशाला में प्रतिदिन 10 से 20 गोवंश की संख्या बढ़ रही है। इनकी ईयर टैगिग भी कराई जा रही है। बेसहारा पशुओं की समस्या का समाधान मिले यह प्रयास हो रहे हैं।