पूरा रामपुर गांव 'आदर्श', आधे में हुआ विकास
विजयीपुर ब्लाक का रामपुर गांव जो अब सांसद आदर्श गांव के रूप में जाना जाता है। सांसद एवं केंद्र
विजयीपुर ब्लाक का रामपुर गांव, जो अब सांसद आदर्श गांव के रूप में जाना जाता है। सांसद एवं केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने वर्ष 2015-16 में गोद लिया तो यहां के ग्रामीणों को उम्मीद बंधी कि अब गांव में विकास की गंगा बहेगी। विकास ने यहां दस्तक भी दी। पक्की सीसी रोड, निर्माणाधीन पंप हाउस, ओवरहेड टैंक और गलियों में लगी सोलर लाइटें इसकी गवाही दे रही हैं। हालांकि यह विकास की आधी तस्वीर है। क्योंकि, आधे ही गांव के विकास से आधी तस्वीर बनी हुई है। यहीं एक गांव का रूप यह भी है कि यहां बजबजाती नालियां, जलभराव तथा सिचाई के लिए बगल से गुजरी सुजानपुर माइनर में बार-बार कटती खांदी की समस्या का वर्षो बाद भी समाधान नहीं हो सकी। 850 से अधिक परिवारों वाले इस गांव में खपरैल वाले घरों के बीच 75 पीएम आवास भी नजर आते हैं। गांव में विकास की कहानी पर दिनेश सिंह की रिपोर्ट-
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फतेहपुर के विजयीपुर ब्लाक मुख्यालय से आठ किमी दूर यमुना किनारे बसे सांसद आदर्श गांव रामपुर जाने के लिए खागा-किशुनपुर मार्ग बेहतर है। कुछ दिन पहले ही इसकी मरम्मत हुई है। किशुनपुर कस्बा स्थित पुलिस कालोनी के बगल से ही गांव तक खड़ंजा लगा है। ऊबड़-खाबड़ खड़ंजा में सफर के दौरान हिचकोले खाने पड़े। गांव के रहने वाले लोग बाजार, दवा-इलाज तथा प्राइमरी के बाद शिक्षा के लिए किशुनपुर कस्बा जाते हैं। ग्राम सभा से पांच किमी दूर मददअलीपुर में बीते दो वर्ष से ओवरहेड टैंक व पंप हाउस का निर्माण चल रहा है। गांव के लोग पेयजल के लिए अभी हैंडपंपों पर निर्भर हैं। गांव में प्रमुख तिराहों, चौराहों पर सोलर लाइटें लगी हुई हैं। बिजली के खंभों पर कुछ दिन पहले ही एलईडी लाइटें लगाई गई हैं। खड़ंजा समाप्त होते ही बजरंग बली का मंदिर दिखा तो बीच रास्ते जलभराव और कीचड़ से जूझते ग्रामीणों का दर्द बताता है कि विकास के आगे बदहाल गांव की सीमा यहां शुरू होती है। नजदीक खड़े ओमप्रकाश सिंह से विकास की कहानी पर चर्चा की तो उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया, 'चुनाव आवे वाला है तो गांव मा कुछ लाइटें अउर लग गई हैं। बाकी का विकास थोड़ा घूम लेव पता चलि जाई।' इनके पास से कुछ दूर आगे बढ़े तो रामबाबू की दुकान के सामने कीचड़ व नाला से उफनाकर रास्ते में गंदा पानी बह रहा था। रामबाबू से रहा न गया तो पास आकर पूछने लगे, 'भइया कुछ देखे आए हो का।' गांव में विकास कार्यो पर चर्चा शुरू की तो बोले, 'कुछ तो हुआ है, कुछ और होई जात तो सूरत बदल जात गांव की। सांसद जी आधे गांव के रस्ता पक्के करा देहेन, आधा अबहू कच्चेन परा है।' पक्की सीसी सड़क से फर्राटा भरते हुए कुछ दूर और चले तो बरगद के तले कई ग्रामीणों में चर्चा छिड़ी थी। नंदा, विजयपाल, रामबाबू, राजेंद्र सिंह के बीच शायद चुनाव को लेकर ही कोई बात हो रही थी। सभी कुछ देर पहले ही शांत हुए थे, विकास कार्यो की बात पूछते ही बगल से गुजरे नाले को दिखाने लगे। रामबाबू कहते हैं, 'दिन भर बैठिके बदबू सूंघत हैं, ठेकेदरवा पइसा निकाल लइगा, गांव की गंदगी हेइने छोड़गा।' पास में ही खड़े पूर्व प्रधान अंबोल सिंह की टिप्पणी तो एकदम अलग थी। वह आरोप लगाते हैं, 'सांसद के गोद लेने से गांव का भले ही भला न हुआ हो प्रधान जी की किस्मत चमक गई।' नजदीक लगे हैंडपंप में पानी भर रही पार्वती भी बड़बड़ाने लगीं, 'आधा घंटा जान देओ तब एक बाल्टी पानी निकलत हवे। न जाने पानी की टंकी कब बनी, कब साफ पानी मिली।' उनकी शिकायत थी, 'जहां घर ज्यादा हैं, हुआ टंकी नहीं बनी, प्रधान के गांव में दुई कोस दूर टंकी बनत ही। बस्ती के अंदर बने तलाबन में चउवन का पानी पियावे का जाए का परत है।' यहां से आगे निकलने पर राजेंद्र सिंह के दरवाजे ग्रामीणों की चौपाल लगी थी। चारपाई पर बैठे सज्जन सिंह का कहना था, 'गांव का साफ-सुथरा बनाए रखे के बरे बने शौचालय आधे से ज्यादा बेकार होई चले हैं। सुबह-शाम गांव वाले जंगलन में पहुंचत हैं।' रणजीत, रामनरेश, लाला, कर्मवीर एक स्वर में बोल पड़े, 'बगल से नहर निकली है। जाओ देखि आओ एकिन जगह से बार-बार खांदी कटय मा हमार पंचन का केत्ता नुकसान होत हय। सांसद आदर्श गांव होए के बावजूदो नहर वाले कउनो ध्यान नहीं देत हएं।' चंद्रभवन, जय सिंह व बाबू बोले, 'संसद तो गांव देखेन नहीं। अगर बीच-बीच में आवत रहती तो नीचे वालेन की मटरगस्ती उनहुन का पता होइ जात। अइसा नहीं आए कि कुछो नहीं भा, सड़कन में कुछ काम होई गा है। बिजली अबहु आधेन गांव मा पहुंची है, लरका दूर से केबिल लगाइका घरन में उजियर केहे हैं।' ग्रामीणों ने बताया कि सांसद आदर्श गांव से पहले रामपुर वर्ष 2013-14 में लोहिया गांव का तमगा पा चुका है। यमुना तटवर्ती ग्राम सभा होने की वजह से यहां निजी संसाधनों के बलबूते ही खेती होती है। जहां सिचाई का पानी नहीं मिलता है, किसान मोटा अनाज पैदा करते हैं। किसान बांदा जिले से छोड़े जाने वाले अन्ना मवेशियों से परेशान हैं। आधे से ज्यादा गांव के लोग खपरैल वाले घरों में रहते हैं। घरों के ऊपर से गुजरी 11 हजार वोल्ट लाइन के तारों के टूटने से दुर्घटनाओं का खतरा भांपकर गांव के कई हिस्सों में ग्रामीण लाइन काटे हुए हैं।
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ढिबरी, लालटेन से मिला छुटकारा
वर्षो तक गांव में बिजली की रोशनी नहीं दिखाई पड़ती थी। बीते पांच वर्षो में बिजली लाइन खींची गई। गांव के किनारे लोग केबिल जोड़कर घरों तक बिजली कनेक्शन जोड़ते थे। सांसद आदर्श गांव होने के बाद से जहां घरों के बाहर तक बिजली के तार खींचे गए, वहीं सोलर लाइटों के लगने से गांव वालों को ढिबरी, लालटेन से छुटकारा मिल गया।
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इनसेट
ग्राम पंचायत का नाम - रामपुर
ग्राम पंचायत की जनसंख्या - 6800
मतदाता संख्या - 2900
परिवारों की संख्या- 890
शौचालय संख्या- 389
निश्शुल्क विद्युत कनेक्शन- 310
उज्ज्वला गैस कनेक्शन - 245
बिजली कनेक्शन - 470
ग्रामीणों को मिले पीएम आवास - 75
राशन कार्ड धारक - 919
जॉब कार्ड धारक - 550