सूखा भूसा खाकर गोशालाओं में जिदा हैं मवेशी
-विजयीपुर ब्लाक के अंजना भैरो गांव की गोशाला में यूं तो 45 मवेशी हैं लेकिन यहां बाहर घूम रहे बेसहारा मवेशियों को घुसने नहीं दिया जाता है। कर्मचारी यहां पर गेट में तालाबंद कर रखते हैं। यमुना कटरी के गांवों में किसान बेसहारा मवेशियों के आतंक से परेशान हैं। ग्रामीणों का कहना था यदि बेसहारा पशुओं को गोशाला में रखा जाए तो आश्रय के साथ ही क्षेत्र के लोगों को नुकसान से राहत मिल जाए। उधर ग्राम प्रधान प्रकाशचंद्र अवस्थी ने बताया कि भूसा दाना की व्यवस्था है। दूसरे के नलकूप से पानी लाना पड़ता है। गोशाला के नलकूप में विद्युत कनेक्शन नहीं हो पा रहा है। देखरेख निजी मजदूर रखे हैं। वह उतना ही पशुओं को गोशाला में रखेंगे जितने के लिए वह कुछ सके।
जागरण टीम फतेहपुर: कहने को तो जिले भर में 14 गोशालाएं संचालित कर बेसहारा पशुओं को आश्रय दिया जा रहा है, लेकिन असल में अव्यवस्थाओं से जूझ रही गोशालाओं में मवेशी संकट का जीवन काट रहे हैं। चारा के नाम पर इन्हें आधे पेट सूखा भूसा दिया जाता है, जबकि मैदान में चरने के लिए न घास और न ही हरा चारा का प्रबंध। बावजूद इसके कागजों में गोवंश के पशुओं को हष्ट-पुष्ट बताया जा रहा है। रविवार को जागरण ने अलग-अलग गोशाला स्थलों की स्थलीय पड़ताल की तो प्रबंधन की पोल खुलकर सामने आ गयी। आइये जानते है कुछ गोशालाओं का हाल..।
दृश्य एक..चकहाता गोशाला
गोशाला पड़ी खाली, पीपल चबूतरे में बंधे मवेशी
जय भोले गोशाला चकहाता में गोवंश के 50 से अधिक मवेशी गोशाला से हटाकर सरकंडी गांव में तार के घेरे के बीच रखे गए हैं। चूंकि गोशाला में बाढ़ का पानी भर गया है। सुबह आठ बजे जागरण की टीम पहुंची, देखा कि यहां पर एक पीपल के पेड़ के नीचे चारा के नाम पर सूखा भूसा पड़ा मिला। पानी के लिए यहां पर तीन ड्रम रखे हैं। पास में ही क्रिकेट खेल रहे सोनू व मोनू ने बताया चारा डालने के लिए कर्मचारी आएंगे, पर पता नहीं कितने बजे। उधर गोशाला में तालाबंद था, जिसमें एक टीन शेड, दो बांस के शेड बनाए गए हैं।
दृश्य दो...उकाथू गोशाला
सौ गोवंश थे, चालीस हो गए कम
धाता ब्लाक के उकाथू गांव में स्थित गोवंश आश्रय स्थल में टीम सुबह 8.30 बजे पहुंची। गांव के कल्लू, राजेश ने बताया कि गोशाला में दो माह पहले तक 100 से अधिक गोवंश थे। देखरेख के अभाव में 40 गोवंश आश्रय स्थल छोड़कर चले गए। चूंकि इस गोशाला की देखरेख गांव के सफाई कर्मी द्वारा की जाती है। बरसात बीतने के बाद भी आश्रय स्थल पर चारों ओर कीचड़ भरा हुआ है। 50 की संख्या में गोवंश घूमते दिखा। चारा के नाम पर सूखा भूसा ही बोरों में भरा दिखाई पड़ा। बीडीओ गोपीनाथ पाठक का कहना था अव्यवस्थाओं की जांच कराई जाएगी।
दृश्य तीन..जहानाबाद गोशाला
नाम भर के लिए डाला जाता है चूनी-चोकर
गोशाला में ताला बंद था, प्रधान पति राजू सचान को पता चला कि गोशाला देखने के लिए कुछ लोग आए हैं तो वह दो कर्मचारी लेकर गोशाला पहुंचे। गोशाला में 62 मवेशी परिसर में इधर-उधर झुंड में बैठे थे। हालांकि छाया के लिए यहां टीन शेड बनाया गया है। भूसा भरने, दवाएं रखने के लिए कमरा बना है। चारा काटने की मशीन नहीं है। पानी के लिए नलकूप का कोई इंतजाम है। प्यास बुझाने के लिए एक गड्ढे में किराये के नलकूप से पानी भरा जाता है। भूसा व चूनी मवेशियों की नांद में जो डाली गई वह पशुओं के लिए पर्याप्त नहीं।
दृश्य चार...अंजना भैरों
गोशाला में ताला, सड़क में बेसहारा मवेशी
विजयीपुर ब्लाक के अंजना भैरो गांव की गोशाला में यूं तो 45 मवेशी हैं, लेकिन यहां बाहर घूम रहे बेसहारा मवेशियों को घुसने नहीं दिया जाता है। कर्मचारी यहां पर गेट में तालाबंद कर रखते हैं। यमुना कटरी के गांवों में किसान बेसहारा मवेशियों के आतंक से परेशान हैं। ग्रामीणों का कहना था यदि बेसहारा पशुओं को गोशाला में रखा जाए तो आश्रय के साथ ही क्षेत्र के लोगों को नुकसान से राहत मिल जाए। उधर ग्राम प्रधान प्रकाशचंद्र अवस्थी ने बताया कि भूसा, दाना की व्यवस्था है। दूसरे के नलकूप से पानी लाना पड़ता है।