63 साल बाद वन विभाग खोजने निकला भूमि
संवाद सहयोगी, ¨बदकी : रोम जल रहा था और नीरो बंशी बजा रहा था..कुछ ऐसा ही हाल यहां वन विभाग का
संवाद सहयोगी, ¨बदकी : रोम जल रहा था और नीरो बंशी बजा रहा था..कुछ ऐसा ही हाल यहां वन विभाग का भी है। वन के लिए अधिसूचित जमीन पर धड़ाधड़ कब्जे होते रहे। किसान खेती करने लगे और कई लोगों ने मकान तक बना लिए लेकिन विभाग को सुध नहीं आई। अब जब हाईकोर्ट ने वन क्षेत्र के लिए अधिसूचित जमीनों का अमल-दरामत वन विभाग के नाम कराने का आदेश दिया तो 63 साल बाद विभाग को अपनी जमीन की सुध आई। अधिकारी जमीन ढूंढ़ने निकले तो यह हकीकत सामने आई। वन विभाग के अभिलेखों में वन भूमि का गाटा संख्या दर्ज नहीं है तो कागजी पेच फंसने के भय से राजस्व विभाग भी फूंक-फूंककर कदम रख रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि वह भूमि हासिल कैसे करेगा।
¨बदकी तहसील में करीब 3500 हेक्टेअर वन्यक्षेत्र है, जिसमें से आधी जमीन विभाग के कब्जे में नहीं है। गंगा कटरी क्षेत्र के मियामऊ, भाऊपुर, गलाथा, अभयपुर, सगुनापुर में वन भूमि का बड़ा क्षेत्र है। इस क्षेत्र में ही भाऊपुर व अभयपुर के दो बड़े जंगल स्थित हैं। वर्ष 1956 के गजट के दौरान यह जमीन वन विभाग को दी गई थी। यहां की कुछ जमीन पर तो वन विभाग ने कब्जा कर राजस्व अभिलेखों में दर्ज करा लिया जबकि शेष सैकड़ों एकड़ जमीन राजस्व अभिलेखों में दर्ज नहीं हो पाई। इस जमीन पर ग्रामीण खेती कर रहे हैं। कई स्थानों पर तो वन भूमि पर रिहायशी भवन तन गए हैं। वन विभाग के पास 1956 का जो गजट उपलब्ध है। उसमें वन भूमि की चौहद्दी दर्शाई गई है। गाटा संख्या न दर्ज होने से इस जमीन को चिह्नित करने में राजस्व विभाग को दिक्कत आ रही है। कई ऐसे गांव हैं, जहां दो-दो बार चकबंदी हो चुकी है। तब भी वन विभाग ने भूमि पर दावा नहीं किया। इस कारण गजट में मिली वन भूमि किसानों के नाम दर्ज हो गई। अब किसानों के नाम खतौनी में दर्ज वन भूमि फिर वन विभाग को दिलाना इतना आसान नहीं है।
जमकर हुआ पीली मिंट्टी का खनन
किसानों के कब्जे में आई वन भूमि से पीली मिट्टी का व्यापक स्तर पर खनन किया गया। हाल ही में खनन विभाग द्वारा दिए गए 5 पट्टों पर वन विभाग की आपत्ति के बाद खनन पर रोक लगा दी गई।
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''वन विभाग के पास 1956 का जो गजट है। उसमें गाटा संख्या से भूमि चिह्नित नहीं है। गजट में भूमि की चौहद्दी दर्ज है। अब इसके पीछे के अभिलेखों की पड़ताल की जा रही है। कई स्थानों पर एक से दो बार चकबंदी हो चुकी है। इस दौरान वन भूमि काश्तकारों के नाम दर्ज हो गई है। इसकी जांच कराई जा रही है। लेखपालों की टीम वन भूमि खोजने में वन विभाग की मदद कर रही है।- प्रमेश कुमार, तहसीलदार ¨बदकी
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''हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि वन क्षेत्र के लिए अधिसूचित जमीनों का अमल-दरामत वन विभाग के नाम कराया जाए। अब विभाग ने अपनी अधिसूचित जमीनों को कब्जे में लेने के लिए तहसील प्रशासन से अमल दरामत की मांग की है। ¨बदकी तहसील के 23 गांवों में अधिसूचित भूमि है, उसे वन विभाग के नाम कराएंगे। यह जमीनें चकबंदी में किसानों के नाम कैसे चढ़ गईं, इस पर कुछ नहीं कह सकते।- सीपीएस मलिक, डीएफओ