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जिले में 28 फीसद आबादी का नहीं छूटा लोटा

सितंबर 2019 तक बन भले ही सवा तीन लाख से अधिक इज्जत घरों का उपयोग नहीं हो रहा है। दरअसल इज्जत घर बनवाने वाले लाभार्थी खुले मैदान में शौच की आदत नहीं छोड़ पा रहे हैं। इनका कहना है कि इज्जतघर में शौच जाने में इनका पेट साफ नहीं होता कोठरी में बैठने पर उलझन होने लगती है। यह हाल तब जब लगातार जागरूकता कार्यक्रम चल रहे हैं। आंकड़े गवाह हैं कि जिले में 97 फीसद परिवारों के पास शौचालय हैं लेकिन इनका उपयोग कमजोर है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 11:35 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 06:22 AM (IST)
जिले में 28 फीसद आबादी का नहीं छूटा लोटा
जिले में 28 फीसद आबादी का नहीं छूटा लोटा

जागरण संवाददाता, फतेहपुर: सितंबर 2019 तक भले ही सवा तीन लाख से अधिक इज्जत घर बने हो लेकिन उनमें अधिकांश का उपयोग नहीं हो रहा है। दरअसल उन्हे बनवाने वाले लाभार्थी खुले मैदान में शौच की आदत नहीं छोड़ पा रहे हैं। कोई स्वास्थ्य कारण बता कर किनारा कर रहा है तो कोई सोच नहीं बदल पा रहा है। यह हाल तब जब लगातार जागरुकता कार्यक्रम चल रहे हैं। आंकड़े गवाह हैं कि जिले में 97 फीसद परिवारों के पास शौचालय हैं, लेकिन इनका उपयोग कमजोर है।

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भारत सरकार के निर्देश पर स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 का सर्वेक्षण करने आई टीम ने जिले के तीस गांवों में घर-घर इज्जतघर उपयोग की हकीकत जानी है, आंकड़े चौंकाने वाले मिले हैं। सर्वे रिपोर्ट कहती है कि जिनके घर में इज्जत घर बने हैं उनमें से मात्र 72 फीसद ही उपयोग करते हैं। 28 फीसद आज भी खुले में शौच जाते हैं। अब जब रिपोर्ट में ही यह बात साफ है कि 28 फीसद आबादी आज भी सुबह-शाम लोटा का ही सहारा लेती है। ऐसे में जिले का ओडीएफ घोषित होना सिर्फ कागजी खानापूरी से कम नहीं है।

जागरण टीम ने शुक्रवार को अंदमऊ ग्राम सभा में जाकर शौचालय अभियान की पड़ताल की। अंदमऊ का नजारा देखकर अभियान की हकीकत की कलई खुलती नजर आई। यहां सुबह पहर आधा दर्जन महिलाएं हाथ में लोटा लेकर खेतों की तरफ जाती मिली। बातचीत में सकुचाते कहा कि उन्हें मैदान में ही जाने की आदत है। टीम ने डंडीवा गांव का रुख किया तो यहां दिशा मैदान से लोग निवृत्त हो चुके थे, लेकिन गांव में आधे शौचालय उपयोग लायक नहीं दिखी।

चिराग तले ही अंधेला, सड़क पटरी सहारा

शहर में डीएम आवास के ठीक बीचे बसी मलिन बस्ती आज तक खुले में शौच मुक्त नहीं हो पाई है। यहां नगर पालिका ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत इज्जत घर तो बनवा दिए हैं, लेकिन पूरी किस्त नहीं दी। इससे लाभार्थियों ने अपने इज्जतघर पूर्ण ही नहीं कराए। यहां के रहने वाले अधिकांश परिवार भैंसों के व्यापार से जुड़े हैं, और वर्षों से यहां निवासित हैं। राम गुलाम, नरेश, नूतन आदि ने बताया कि चार-चार हजार रुपये मिले थे इसके बाद पैसा ही नहीं दिया गया। जिससे इज्जतघर नहीं बन पाए। नौ लोगों के इज्जतघर बने मिले जिसमें भूसा या चारा भरा हुआ था। हम कराएंगे सर्वे, करेंगे कार्रवाई-डीएम

डीएम संजीव सिंह ने कहा कि लक्ष्य के सापेक्ष इज्जतघर 2012 से 18 तक बनाए गए, इसके बाद 83 हजार नये लोग मिले उनके भी इज्जतघर बनाए जा रहे हैं। अब हालिया सर्वे में स्पष्ट हुआ है कि 45 हजार छूटे लोग है। हमने इन्हें वेटिग सूची में रखा है। इन्हें भी लाभ देंगे। लेकिन पूर्व में जिनके इज्जतघर बने थे और टूट-फूट गए हैं या ऐसे लोग जो अभी तक प्रयोग नहीं करते हैं। ऐसे लोगों का सर्वे कराकर चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी।


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