17 समितियां अयोग्य घोषित, नीलामी प्रक्रिया से बाहर
मत्स्य व्यवसाय से जुड़कर वर्षों से कमाई कर रही 17 मत्स्य जीवी सहकारी समितियों को जिला प्रशासन ने अयोग्य घोषित करते हुए नीलामी प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। दरअसल इन समितियों की प्रबंध कार्यकारिणी ने आवश्यक चुनाव प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया है। एक साथ 17 समितियां बाहर हो जाने से गैर जनपद की अधिकृत समितियों का बोली प्रक्रिया में भाग लेने के अवसर बढ़ गए हैं। प्रशासन की इस कार्यवाही से मछली व्यापार से जुड़े लोगों में हड़कंप मच गया है।
जागरण संवाददाता, फतेहपुर : मत्स्य व्यवसाय से जुड़कर वर्षो से कमाई कर रहीं 17 मत्स्यजीवी सहकारी समितियों को जिला प्रशासन ने अयोग्य घोषित करने के साथ नीलामी प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। इन समितियों की प्रबंध कार्यकारिणी ने चुनाव प्रक्रिया का पालन नहीं किया। अब गैर जनपद की समितियों के बोली प्रक्रिया में भाग लेने के अवसर बढ़ गए हैं।
जिले में 28 मत्स्यजीवी सहकारी समितियां हैं। यह प्रत्येक वर्ष नदियों, झीलों और बड़े तालाबों में मत्स्य आखेट और पालन का ठेका नीलामी के आधार पर पाती रही हैं। इस बार समितियों की वैधता को लेकर शासन तक शिकायत हुई थी, जिसके बाद डीएम ने जांच कराई। दो समितियां पहले ही डिबार हो गई थीं। अब मत्स्य विभाग की जांच में 17 समितियां अयोग्य मिलीं। इन समितियों ने प्रबंध कार्यकारिणी का चुनाव ही नहीं कराया है। अब जिले की मात्र नौ समितियां ही बोली प्रक्रिया में भाग ले सकेंगी। तीन न्याय पंचायत का कार्यक्षेत्र
एक समिति अधिकतम तीन न्याय पंचायत क्षेत्रों में मत्स्य आखेट या पालन का अधिकार ले सकती है। इससे अधिक क्षेत्र का अधिकार तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक संबंधित क्षेत्र की समिति अयोग्य न हो। जिले की समितियां यदि काम करने के लिए इच्छुक नहीं है तो गैर जनपद की समितियों को मौका दिया जा सकता है।
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नीलामी की रकम
तहसील न्यूनतम बोली
सदर 1.15 करोड़
बिदकी 19.80 लाख
खागा 40 लाख
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क्या कहते हैं जिम्मेदार
जिले में 28 मत्स्यजीवी समितियां हैं, जिनमें 17 अयोग्य व दो डिबार हो चुकी हैं। अब नौ समितियां ही बोली में भाग ले सकेंगी। बोली अधिक से अधिक बढ़े, इसके लिए गैर जनपद की समितियों को अवसर दिया जाएगा।
-आरडी सोनकर, सहायक निदेशक मत्स्य