Move to Jagran APP

जब कुछ न था तब नूरे मुस्तफा था जहां में

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : हुजूर के यौमे पैदाइश के मौके पर शहर की कदीमी खानकाह

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Dec 2017 10:26 PM (IST)Updated: Sat, 02 Dec 2017 10:26 PM (IST)
जब कुछ न था तब नूरे मुस्तफा था जहां में
जब कुछ न था तब नूरे मुस्तफा था जहां में

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : हुजूर के यौमे पैदाइश के मौके पर शहर की कदीमी खानकाह दरगाह हुसैनिया मुजीबिया पर जलसा ईद मीलादुन्नबी का अयोजन किया गया। इस मौके पर मौलाना एजाज नूरी ने अकीदतमंदों के मजमे को खिताब फरमाया। शोरा इकराम ने नातिया कलाम से खिराजे अकीदत पेश की।

prime article banner

सज्जादानशीन कारी शाह फसीह मुजीबी की सदारत में हुए जलसे को खिताब फरमाते हुए मौलाना एजाज नूरी ने फरमाया कि खुदा ने अपने मुस्तफा का नूर दुनिया में सबसे पहले पैदा किया। इसी लिए उन्हें सारे अलाम के लिए रहमत कहा जाता है। उन्होंने कहा कि जब कुछ न था जहां में तब नूरे मुस्तफा था। उन्होंने अपने इखलाक से वह मिसाल कायम की कि सारी दुनियां उनकी कायल हो गई। खुदा ने उन्हें सारे आलम के लिए रहमत बनाकर भेजा था।

इस मौके पर दूर दराज से आए शोरा इकराम ने नातिया कलाम पेश किए। कारी तनवीर रजा ने नात पढ़ी दुश्मन न ढूंढ पाएंगे मेरे रसूल को, मकड़ी ने गारे सौर पर जाला लगा दिया। आफताब कादीरी ने कलाम पेश किया ऐसा कोई होगा न कहीं है, बैठा है चटाई पे मगर अर्श नशीं है। कारी अली अहमद शाहजहांपुरी ने भी बेहतरीन नातिया कलाम पेश किए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.