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परचमे अब्बास जब लहराएगा, खून शहीदे कर्बला रंग लाएगा

यौमे आशूर। कर्बला में इमाम हुसैन और उनके 70 शैदाइयों के कत्ल का दिन। गमे हुसैन में मातम करते सोगवारों का हुजूम मंगलवार को शहर की सड़कों पर निकला। जंजीरी मातम में खून से तर-ब-तर शैदाइयों का सैलाब रास्ते सुर्ख करता निकला। या अली और या हुसैन की सदाओं के बीच जुलूस मुख्य मार्ग से होते हुए कर्बला पहुंचा। कर्बला में मौलाना सदाकत हुसैन सैंथली ने मजलिस को खिताब किया। नम आंखों से ताजियेदारों ने यहां ताजिए सुपुर्दे खाक किए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 10:16 PM (IST)Updated: Wed, 11 Sep 2019 06:27 AM (IST)
परचमे अब्बास जब लहराएगा, खून शहीदे कर्बला रंग लाएगा
परचमे अब्बास जब लहराएगा, खून शहीदे कर्बला रंग लाएगा

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : यौमे आशूर। कर्बला में इमाम हुसैन और उनके 70 शैदाइयों के कत्ल का दिन। गमे हुसैन में मातम करते सोगवारों का हुजूम मंगलवार को शहर की सड़कों पर निकला। जंजीरी मातम में खून से तर-ब-तर शैदाइयों का सैलाब रास्ते सुर्ख करता निकला। 'या अली' और 'या हुसैन' की सदाओं के बीच जुलूस मुख्य मार्ग से होते हुए कर्बला पहुंचा। कर्बला में मौलाना सदाकत हुसैन सैंथली ने मजलिस को खिताब किया। नम आंखों से ताजियेदारों ने यहां ताजिए सुपुर्दे खाक किए।

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ठंडी सड़क स्थित दर-ए-जैनबिया से रवायती अंदाज में सुबह अलम जुलूस के साथ नंगे पैर सोगवारों का काफिला ख्वातीन और बच्चों को साथ लेकर निकला। जुलूस के पीछे ख्वातीन अली असगर का झूला सिर पर उठाए चल रहीं थीं। नोहाख्वानी के बीच हुसैन के शैदाई मातम करते हुए चौक बाजार तक पहुंचे। यहां पर सीना जनी के बाद जुलूस पक्का पुल की ओर बढ़ा। रास्ते में जंजीरी मातम के बीच लोगों के बदन से खून बहने लगा। सोगवारों के लहू से सड़क सुर्ख हो गई। जुलूस के रास्ते में छतों पर महिलाओं का हुजूम नजर आया। 'या अली' और 'या हुसैन' की सदाओं के बीच जुलूस तिकोना चौकी तिराहे पर पहुंचा तो यहां मौलाना सदाकत हुसैन सैंथली ने रवायती अंदाज में बच्चों के सिर में कमा लगाई। जुलूस आगे बढ़ा तो टाउनहॉल तिराहे पर एक बार फिर जंजीरी मातम का दौर चला। यहां से काफिला कर्बला की ओर बढ़ गया। कर्बला में मौलाना सैंथली ने मजलसि को खिताब किया। उन्होंने फरमाया कि कर्बला के मैदान में हुसैन के सामने शिकस्ते-फाश खड़ी मुस्कुरा रही थी, लेकिन उनके चेहरे पर खौफ का एक साया भी नहीं था। भीकमपुरा, नखास, गढ़ी व तराई के अलावा शहर के विभिन्न मोहल्लों और अजाखानों के ताजिये अलग-अलग जुलूस की शक्ल में कर्बला पहुंचे। हजारों की भीड़ के बीच ताजियों को नम आंखों से दफन किया गया। अलम व ताजिया जुलूसों के लिए कई स्थानों पर सबील लगाए गए।

फतेहगढ़ में सोताबहादुरपुर, शीशम बाग आदि विभिन्न मोहल्लों के ताजिये व अलम मिलिट्री चौराहे पर एकत्र हुए। यहां से सभी ताजिए एक साथ पुलिस लाइन के पीछे स्थित कर्बला के लिए रवाना हुए। दरगाह सत्तारिया के सज्जादानशीन मिर्जा हसन अशरफ उर्फ प्यारे मियां, मोहर्रम कमेटी के शमशाद हुसैन, नसीम अहमद आदि मौजूद रहे। जुलूस को समय से निकालने की रही जद्दोजहद

मोहर्रम जुलूस के चलते दोपहर तक गणेश प्रतिमा विसर्जन यात्राओं को प्रशासन ने रोक दिया था। इसके चलते पुलिस पूरे समय जुलूस को जल्द-जल्द टाउन हाल तिराहे के आगे कर्बला रोड पर पहुंचाने की जद्दोजहद में लगा दिखा। प्रशासन ने दोनों समुदायों के बुजुर्गों को इस मामले में पहले से भरोसे में ले लिया था। इसी के चलते इस बार काफी संख्या में बुजुर्ग स्थिति पर नजर बनाए व जुलूस के आगे व पीछे चलते दिखे। पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद दिखा।


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