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स्कूल तो चले हम, पर बैठेंगे कहां

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद कोरोना के कारण करीब डेढ़ साल बाद 01 सितंबर से बेसिक शिक्ष्

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Aug 2021 05:41 PM (IST)Updated: Thu, 26 Aug 2021 05:41 PM (IST)
स्कूल तो चले हम, पर बैठेंगे कहां
स्कूल तो चले हम, पर बैठेंगे कहां

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : कोरोना के कारण करीब डेढ़ साल बाद 01 सितंबर से बेसिक शिक्षा विभाग प्राथमिक विद्यालयों को फिर से खोलने की तैयारी कर रहा है। विद्यालयों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए 'स्कूल चलें हम' नारा भी दिया जाता रहा है। इस बार भी यही नारा दोहराया जाएगा, लेकिन बच्चों का कहना है कि स्कूल तो चलें हम, पर बैठेंगे कहां। कारण शहर से लेकर देहात तक कई प्राथमिक विद्यालयों के भवन जर्जर हैं। जिनमें बैठना किसी हादसे की छांव में बैठना जैसा है। यह स्थिति तब है जब कायाकल्प के नाम पर सरकारी विद्यालयों के सुंदरीकरण पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के दावे हो रहे हैं। इन जर्जर भवनों में बरसात में बिना भीगे बच नहीं सकते। जर्जर भवन होने के चलते बच्चों की जान को खतरा हमेशा बना रहता है। विभागीय अधिकारी भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे। शहर से लेकर गांव के कुछ विद्यालयों की पड़ताल की गई तो कई विद्यालयों का भवन जर्जर मिला। उसमें बच्चे तो दूर अध्यापक तक जाने में कतराते हैं। जिम्मेदार अधिकारी ऐसे विद्यालयों को चिह्नित कराने की बात कहकर समस्या से पल्ला झाड़ने का प्रयास करते हैं।

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केस-1

शहर क्षेत्र में स्थित कंपोजिट प्राथमिक विद्यालय नई बस्ती का भवन बेहद खराब हालत में है। बरसात में बरामदा से लेकर हाल तक टपकता है। छतों पर दरारें हो गई हैं, जो साफ दिखती हैं। बरसात में बच्चों की छुट्टी कर दी जाती है, जबकि स्कूल में रखा खाद्यान्न, खेलकूद की सामग्री व अन्य सामान भीगता रहता है। प्रधानाध्यापिका कादंबरी रानी मिश्रा ने बताया कि विद्यालय करीब 60 साल पुराना है। मौजूदा समय में 82 बच्चे पंजीकृत हैं। बच्चों को बैठाने तक की जगह नहीं है। जर्जर भवन के मरम्मत की मांग उच्चाधिकारियों से कर चुकी हैं।

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केस-2

कंपोजिट प्राथमिक विद्यालय तलैया फजल इमाम का तो मुख्यगेट ही चटका है। विद्यालय में एक भी कमरा नहीं है। टिनशेड के नीचे बैठकर बच्चे पढ़ते हैं। दीवारें भी जर्जर अवस्था में हैं। कमरा भी टपकता है, जिससे स्कूल की सामग्री भीगती है। टिनशेड के नीचे या बरामदे में बच्चे पढ़ते हैं। प्रधानाध्यापिका पुष्पा राजपूत ने बताया कि विद्यालय में 71 बच्चे पंजीकृत हैं। बरसात में बहुत दिक्कत होती है। विद्यालय के जर्जर होने की शिकायतें कई बार की जा चुकी हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही।

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केस-3

शमसाबाद कस्बा स्थित प्राथमिक विद्यालय प्रथम का मूल भवन चार सालों से जर्जर है। प्रधानाध्यापिका रानी वर्मा इस संबंध में कई बार भवन को गिरवाए जाने की शिकायत कर चुकी हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। भवन के किनारे से ही बच्चे निकल कर पीछे बने अतिरिक्त कक्षा कक्ष में शिक्षण कार्य करने के लिए जाते हैं , जिस से खतरा बना रहता है। प्राथमिक विद्यालय इमादपुर थमरई व प्राथमिक विद्यालय दलेलगंज का भी मूल भवन जर्जर है। ऐसी ही स्थिति प्राथमिक विद्यालय रमापुर जसू में है।

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केस-4

अमृतपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय फकरपुर और प्राथमिक विद्यालय कुतलूपुर वर्ष 2007 में बनवाए गए थे। यह दोनों विद्यालय मौजूदा समय में जर्जर अवस्था में हैं। बच्चों इन्हीं विद्यालयों में बैठाया जा रहा है, जिससे किसी भी दिन कोई हादसा हो सकता है। विभागीय अधिकारी भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। दोनों विद्यालय के प्रधानाध्यापक अमित कुमार व आशारानी का कहना है कि जर्जर होने की सूचना उच्चाधिकारियों को कई बार दे चुके हैं। पता नहीं कब सुनवाई होगी।

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' ऐसे विद्यालयों को चिह्नित किया जा रहा है, जिनके भवन जर्जर हैं। ऐसे स्कूलों के बच्चों को नजदीकी स्कूल में शिफ्ट करने के निर्देश दिए गए हैं। कार्ययोजना तैयार कर ऐसे विद्यालयों का भवन नये सिरे से बनवाया जाएगा।'

- लालजी यादव, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी।


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