जलस्तर घटने के बाद भी नहीं घट रहीं मुसीबतें
संवाद सहयोगी, अमृतपुर : गंगा व रामगंगा का जलस्तर कम होने के बाद भी तटवर्ती गांव के बा¨शदों
संवाद सहयोगी, अमृतपुर : गंगा व रामगंगा का जलस्तर कम होने के बाद भी तटवर्ती गांव के बा¨शदों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। तटवर्ती गांव में बाढ़ का पानी भरा होने से ग्रामीणों को आवागमन में परेशानी हो रही है। खेतों में बाढ़ का पानी भरा रहने से फसलें खराब हो गईं। ग्रामीणों को मवेशियों के चारे व भोजन पकाने को ईंधन की समस्या विकराल हो गई है। गंगा का जलस्तर 5 सेंटीमीटर घटकर 136.80 मीटर पर पहुंच गया है। नरौरा बांध से गंगा में 153510 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। रामगंगा के जलस्तर में 10 सेंटीमीटर कमी दर्ज की गई है, जिससे रामगंगा 136.55 मीटर पर पहुंच गई हैं। खोह, हरेली व रामनगर से रामगंगा में 6203 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। गंगा का जलस्तर कम होने के बाद भी क्षेत्र के कलिका नगला, जटपुरा कैलियाई, करनपुर घाट, उदयपुर, कंचनपुर, आशा की मड़ैया, जोगराजपुर, रामपुर, लायकपुर, तीसराम की मड़ैया, बंगला, सुंदरपुर, सवितापुर, सैदापुर, नगला दुर्गु व भुड़रा गांव में बाढ़ का पानी भरा हुआ है। गांव के लोग बाढ़ के पानी से निकलने को मजबूर हैं। गांव में बाढ़ के पानी व बरसात होने से ईंधन भीग गया है, जिससे ग्रामीणों को भोजन पकाने को ईंधन की समस्या हो गई है। करनपुर घाट के राजीव बताते हैं कि झोपड़ियों में बाढ़ का पानी भर गया है, जिससे झोपड़ी में रखा घरेलू सामान व ईंधन भीग गया है। कई दिनों से खेतों में खड़ी फसलें जलमग्न है और तेज धूप निकलने से खेतों में भरा पानी गर्म हो जाता है, जिससे फसलें सड़ने लगी हैं। जलमग्न होने से अधिकांश फसलें खराब हो गई है।
आशा की मड़ैया, उदयपुर, कंचनपुर, जोगराजपुर व कलिका नगला के ग्रामीणों को मवेशी के चारे के लिए काफी दूर जाना पड़ता हैं। आशा की मड़ैया के रामवीर बताते हैं खेतों में बाढ़ का पानी भरा है, जिससे घास खराब (सड़) हो गई है। ग्रामीणों को चारे के लिए भटकना पड़ता है। कई ग्रामीण इकठ्ठे होकर बैलगाड़ी से चारा लेने जाते हैं। चारे की व्यवस्था करने में पूरा दिन बीत जाता है। रामगंगा की तेज धार लील गई तीन सौ बीघा भूमि
रामगंगा की तेज धार से भयभीत अहलादपुर के अधिकांश ग्रामीण अपने पक्के मकान तोड़कर बेघर हो चुके हैं। ग्रामीण बची खुची गृहस्थी समेट रहे हैं। ग्रामीणों के पास झोपड़ी डालने तक को भूमि नहीं है। जिससे ग्रामीण झोपड़ी डालने की भूमि को लेकर ¨चतित हैं। रामदीन, सीताराम, छोटेलाल, दयाराम, शिवरतन, अनंगपाल, सुखपाल, बृजपाल व मनोज सहित ग्रामीणों की तीन सौ बीघा से अधिक उपजाऊ भूमि नदी की धार लील चुकी है। इससे पहले भी कई ग्रामीणों की कृषि भूमि नदी की धार में कट चुकी है। अहलादपुर कि अधिकांश ग्रामीण भूमिहीन हो चुके हैं। कोलासोता गांव की ओर नदी का रुख होने से ग्रामीण भयभीत हैं। गांव के कई लोगों की कृषि भूमि नदी की तेज धार में कट चुकी है।