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दिल्ली व गुजरात से भीड़ लाईं ट्रेनें, प्रवासी बोले हालात बहुत खराब

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद कोरोना के कहर से दूसरे प्रांतों में रह रहे प्रवासियों की घ्

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 10:42 PM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 10:42 PM (IST)
दिल्ली व गुजरात से भीड़ लाईं ट्रेनें, प्रवासी बोले हालात बहुत खराब
दिल्ली व गुजरात से भीड़ लाईं ट्रेनें, प्रवासी बोले हालात बहुत खराब

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : कोरोना के कहर से दूसरे प्रांतों में रह रहे प्रवासियों की घर वापसी और तेज हो गई है। ट्रेन व रोडवेज बसों से आ रहे प्रवासियों के चेहरे पर निराशा, थकान व खाली हाथ लौटने की चिता साफ दिखाई देती है। मंगलवार को दिल्ली व अहमदाबाद से आई ट्रेनों से सैकड़ों प्रवासी फर्रुखाबाद जंक्शन पर उतरे। कुछ लोगों ने बातचीत के दौरान कहा कि बाहर के हालात बहुत खराब हैं। काम-धंधा चौपट हो गया। वह मजबूरन खाली हाथ लौट रहे हैं। शहर की अपेक्षा गांव अभी भी सुरक्षित हैं। हालात सुधरने तक वह गांव में ही रहेंगे।

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भिवानी-कानपुर कालिदी एक्सप्रेस ट्रेन सुबह यहां आयी तो करीब 300 यात्री उतरे। शहर के मोहल्ला हाथीखाना निवासी सूरज कश्यप पत्नी दीपिका के साथ दिल्ली में रहकर काम करते थे। उन्होंने बताया कि दिल्ली में लॉकडाउन लग गया। काम चौपट होने से वह वापस लौट आए। जनपद हरदोई थाना टड़ियावां के गांव उनौती निवासी रामप्रकाश ने बताया कि वह हरियाणा के धानी में रहकर धंधा करते थे। कोरोना का प्रकोप इस कदर बढ़ा कि धंधा चौपट हो गया। इस कारण उन्होंने घर वापसी का निर्णय लिया। इस बार वह खाली हाथ लौटे हैं। शहर कोतवाली के गांव अमेठी जदीद निवासी इरशान व बिलाल ने कहा कि वह दिल्ली में एक दुकान पर काम करते थे। उन लोगों को सात से आठ हजार रुपये मिलते थे। लॉकडाउन के चलते दुकान बंद हो गई। दिल्ली में कोरोना का प्रकोप अधिक है। इस कारण उन्होंने घर लौटना मुनासिब समझा। अहमदाबाद-लखनऊ एक्सप्रेस ट्रेन से आए थाना मेरापुर के गांव पमरखिरिया निवासी धर्मेंद्र यादव ने बताया कि वह गुजरात के साबरमती में काम करते हैं। अब काम पूरी तरह बंद हो गया है। थाना मऊदरवाजा के गांव बुढ़नपुर निवासी शिवम व गांव गुमटिया निवासी अरविद ने बताया कि वह लोग अहमदाबाद में स्टील की थाली बनाने की फैक्ट्री में काम करते थे। कोरोना का प्रकोप बढ़ने से गांव चले आए। जनपद शाहजहांपुर के जलालाबाद निवासी तसलीम स्वजन सहित अहमदाबाद में रहकर शेरवानी बेचने का काम करते थे। उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से धंधा नहीं रहा। वहां खर्च चलना भी मुश्किल था। इससे घर वापसी करना ही उचित समझा। अधिकांश यात्री घर वापसी के पीछे कोरोना का प्रकोप ही बता रहे हैं। स्वास्थ्य परीक्षण तो दूर, नाम-पते भी नहीं हो रहे नोट

कोरोना को फैलने से रोकने के लिए भले ही सरकार की ओर से प्रयास होने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि दूसरे प्रांतों से आ रहे नागरिकों का कोई लेखाजोखा नहीं है। इनमें कौन संक्रमित है इसका भी कोई पता नहीं है। मंगलवार को रेलवे स्टेशन पर लंबी दूरी की ट्रेनें आई। वहां न तो स्वास्थ्य परीक्षण के लिए कोई मौजूद था और न ही रेलवे की ओर से किसी कर्मचारी की ड्यूटी लगी थी। प्रधानी के चक्कर में गांवों से नहीं आ रहीं सूचनाएं

गत वर्ष कोरोना संक्रमण बढ़ने के दौरान दूसरे प्रांतों से घर लौटे लोगों के बारे में गांव के लोग ही जानकारी दे रहे थे, लेकिन इस बार गांव में पंचायत चुनाव चल रहा है। बुराई होने पर वोट का नुकसान होगा। इस कारण लोग बाहर से आने वालों की सूचनाएं नहीं दे रहे हैं। शहर में भी अभी तक बाहर से आने वाले लोगों की सूचना एकत्र करने पर कोई काम शुरू नहीं हुआ।


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