वीरानगी का शिकार हो रहा नवाब रशीद खां का मकबरा
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद कायमगंज क्षेत्र के गांव मऊ रशीदाबाद स्थित नवाब रशीद खां का मकब
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : कायमगंज क्षेत्र के गांव मऊ रशीदाबाद स्थित नवाब रशीद खां का मकबरा (रौजा) पुरातत्व विभाग ने कई साल पहले संरक्षित कर दिया था। खस्ताहाल होने के कारण वर्ष 2014 में 9.88 लाख रुपये की लागत से जीर्णोद्धार भी कराया गया था। इसके बाद विभाग ने ध्यान नहीं दिया। जिससे मकबरे के ऊपर घास उग आई है, चारों तरफ अतिक्रमण है। मवेशी भी बांधे जा रहे हैं।
16वीं शताब्दी में औरंगजेब की हुकूमत के समय अकराबाद सूबे के नवाब रशीद खां शिकार खेलने शमसाबाद की रियासत में आते थे। बताते हैं कि एक बार नवाब के शिकारी कुत्तों पर सियारों ने हमलाकर मार डाला। इसी के बाद नवाब ने कहा कि यहां की मिट्टी में बहादुर पैदा होते हैं। इसी वजह से सियारों ने शिकारी कुत्तों पर हमला कर दिया। कहते हैं कि नवाब रशीद खां ने अफगानिस्तान से पठानों को बुलाकर मऊ रशीदाबाद में बसा दिया था। उन्होंने ही मऊ रशीदाबाद नामकरण किया था। 1607 में उन्होंने अपना मकबरा बनवाया। 1649 में नवाब रशीद खां की मौत हो गई तो उन्हें इसी मकबरे में दफनाया गया। स्थानीय निवासी मकबरे को श्रद्धा की नजर से देखते हैं, लेकिन धीरे-धीरे समय बदला और मकबरा अपना मूल स्वरूप खोता चला गया। पुरातत्व विभाग ने सर्वे के दौरान इसे अपने अधीन ले लिया और संरक्षित कर बोर्ड लगा दिया। सरकार ने स्थानीय नागरिकों की मांग पर वर्ष 2014 में जीर्णोद्धार कराया। विभाग की ओर से मकबरे की देखरेख नहीं हो रही है। उसके ऊपर घास उग आयी है, चारों तरफ अतिक्रमण है और ग्रामीण मवेशी बांध रहे हैं। लोगों को उम्मीद थी कि विभाग की ओर से मनाए जा रहे विश्व धरोहर सप्ताह में मकबरे पर सफाई आदि होगी, लेकिन वह भी नहीं हुई। पुरातत्व विभाग कन्नौज के कनिष्ठ सहायक शैलेंद्र सिंह ने बताया कि मकबरों की देखरेख के लिए चौकीदारों की ड्यूटी लगाई गई है। स्थानीय पुलिस प्रशासन को भी इस संबंध में पत्र लिखे जाते हैं।